हेमंत शर्मा, इंदौर। बुरहानपुर की नेपानगर कागज मिल में भाई भतीजावाद के चलते करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार हुआ है। अब आलम यह है कि कंपनी प्रबंधन के पास सैलरी बांटने का भी फंड नहीं है। मामले को लेकर यूनियन सरकार से केंद्रीय एजेंसियों से घोटाले की जांच करने की मांग कर चुकी है।

दरअसल बुरहानपुर के पास स्थित नेपानगर में एशिया की सबसे पहले कागज मिल नेपा लिमिटेड के रूप में 25 जनवरी 1947 में निजी उद्योग के रूप में स्थापित हुई थी। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 26 अप्रैल 1956 को इसे देश को समर्पित किया था। कभी इस फैक्ट्री की 88,000 टन कागज बनाने की क्षमता थी। आज यह कंपनी 100 करोड़ से ज्यादा के नुकसान में पहुंच गई है। कंपनी के अधिकारियों ने इसे करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया। आज मिल के हालात ऐसे हैं की जिसमें ज्यादा दामों में वेस्ट मटेरियल को खरीदा जाता है और उसके बाद कम दामों में बने हुए पेपर को बाजार में बेचा जाता है।

दूसरे संस्थान को कम दामों में पेपर बेच दिया

एक ऐसा ही मामला एक अखबार के साथ हुआ, जिसमें अखबार में बड़ा ऑर्डर नेपा लिमिटेड को दिया था। कुछ अधिकारियों ने मिली भगत कर दूसरे संस्थान को कम दामों में पेपर बेच दिया। इसमें बड़ा भ्रष्टाचार किया गया। कंपनी के पुराने मशीनों के पार्ट्स (पीतल तांबा) को बेचने में बड़ा भ्रष्टाचार किया है। यूनियन ने भ्रष्टाचार की जांच के लिए केंद्रीय एजेंसी से जांच की मांग की। अब तक किसी भी एजेंसी ने घोटाले की जांच नहीं की। करोड रुपए के घोटाले के बाद भी यह कंपनी किसी तरह चल रही है।कंपनी में कभी 7000 से ज्यादा मजदूर काम करते थे आज 400 श्रमिक कार्यरत है जिन्हें सैलरी देने के लिए फंड नहीं है।

रिक्रूटमेंट में भाई भतीजावाद

कंपनी में ठेकेदार के बेटे विकास रेड्डी को फाइनेंस ऑफिसर बना दिया। बकायदा वैकेंसी निकाली गई। रिक्रूटमेंट में भाई भतीजावाद हावी है।अगर जांच की जाए तो कई लोग ऐसे निकलेंगे जो बिना कंपनी जाए ही घर बैठे मोटी तनख्वाह पा रहे हैं। मजदूरों के लिए पैसा नहीं है वहीं प्रशासनिक अधिकारियों को समय पर तनख्वाह मिल रही है। कंपनी के कुछ लोगों ने लल्लूराम.कॉम को बताया कि अगर फाइनेंस डिपार्टमेंट के विकास रेड्डी की फाइलों की जांच कराई जाए तो बड़ा भ्रष्टाचार उजागर हो सकता है। मीडिया कर्मी को फैक्ट्री के अंदर शूटिंग की इजाजत नहीं है। कंपनी ने इतने कड़े नियम बना दिए कि अगर कोई अंदर से वीडियो बनाकर जारी करता है तो उसके ऊपर कार्रवाई की जाती है।

बंगले पर 27 लाख रुपए खर्च

दरअसल केंद्र सरकार द्वारा कंपनी में विजिलेंस विभाग में विनीत कुमार को बतौर चीफ विजिलेंस ऑफिसर बनाकर भेजा गया है। जिसकी प्रति माह 2 लाख सैलरी समय पर डा दी जाती है। इसी तरह बंगले में अब तक 27 लाख रुपए खर्च किया जा चुका है। मजदूरों को सैलरी देने कंपनी के पास फंड की कमी हो जाती है।

स्क्रैप बेचकर कंपनी को नहीं हुआ मुनाफा

मिल में पुरानी मशीनों में काम आना बंद हो गई तो उन मशीनों को स्क्रैप में बेचने का टेंडर भी जारी किया गया। उस टेंडर में भी बड़ा घोटाला किया गया है बड़े-बड़े पीतल तांबे और लोहे के पाइपों को कौड़ियों के दाम बेच दिया। बड़े अधिकारियों ने इसमें भ्रष्टाचार किया है। अगर यह सरकारी कंपनी चल उठेगी तो उन कंपनियों का क्या जो ₹1 की लागत लगाकर ₹10 में बाजार में पेपर बेच रहे हैं। यही एक अनोखी कंपनी है जिसमें लागत ₹10 और पेपर ₹1 में बेचा जा रहा है, जिसके कारण कंपनी 100 करोड़ से ज्यादा के नुकसान में है।

थर्मल प्लांट में घोटाला

कंपनी का ही खुद का पावर जनरेटिंग प्लांट है। इस प्लांट में भी करोड़ों का घोटाला हो चुका है। पुराने थर्मल प्लांट को निकाल कर नया थर्मल प्लांट तैयार किया गया लेकिन पुराने थर्मल प्लांट को बाजार में कौड़ियों के दाम भेज दिया गया। इसके बाद नया थर्मल प्लांट बनकर तैयार किया जिसकी क्षमता शायद पुराने प्लांट से ज्यादा तो है लेकिन इसमें भी कोयला घोटाला लगातार हो रहा है। पिछले दिनों कंपनी ने खराब कोयला खरीदा और उसके बाद उसी रात को घाटे में बेचकर कंपनी को करोड़ों रुपए का चूना लगा दिया गया। प्लांट के घोटाले को दबाने सोलर प्लांट के लिए आने वाले समय में प्लान बनाने की बात कहते नजर आ रहे हैं।

479 करोड रुपए में सरकार ने करवाया जीर्णोद्धार

सरकार द्वारा दिए गए पैसों के बाद मिल का जीर्णोद्धार किया गया। कई मशीन नई खरीदी गई जो एक बार इस्तेमाल के बाद अभी खराब पड़ी हुई है। इसके साथ ही वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट की अगर बात की जाए तो इस प्लांट से आप भी दूषित पानी ताप्ती नदी में छोड़ा जा रहा है जिससे नदी का पानी दूषित हो रहा है। इस प्लांट को बनाए जाने के बाद प्लांट बनाने वाली कंपनी की सिक्योरिटी मनी को भी कंपनी द्वारा रिलीज कर दिया गया। इसके साथ ही कुछ मशीनों में दिक्कत आना पहली बार में शुरू हो गई थी। अब इन कंपनियों में पार्ट्स मंगाने के नाम पर भी बड़ा खेल हो रहा है। जीर्णोद्धार के वक्त कंपनी में 1000 युवाओं को नौकरी दिए जाने की बात की जा रही थी, लेकिन नेपानगर के युवा बाहर जाकर नौकरी करने पर मजबूर हैं। भ्रष्टाचार के बाद यह कंपनी बंद होने की कगार पर खड़ी हुई है। हालांकि इसे निजी सेक्टर में दिए जाने की चर्चा भी है।

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