अगर आप पशुपालक है और पशुपालन (animal husbandry) में गाय-भैंस समेत अन्य छोटे-बड़े दुधारू पशुओं का पालन करते हैं तो जुलाई और अगस्त के मौसम में आपको काफी ज्यादा सतर्क होने की आवश्यकता है. क्योंकि बारिश के इस मौसम के दौरान इन्वायरमेंट और टेंपरेचर में काफी बदलाव होते हैं, जिसके कारण छोटे-बड़े जीव, परजीव औेर रोग वाहक कीड़े-मकोड़े पनपते हैं. इनमें सेकुछ प्राकृतिक लाभ पहुंचाने वाले होते हैं. तो कुछ जीव प्रकृति समेत मनुष्य और पशु, पक्षियों को हानि पहुंचाने वाले होते हैं.
अक्सर पाया गया है कि बारिश के मौसम के दौरान पालतू और दुधारू पशुओं को लंगड़ा बुखार, गलघोटू, पेट में कीड़ा, दस्त, फड़ सूजन, वायरस, त्वचा रोग आदि जैसी कई मौसमी बीमारियां आसानी से जकड़ लेती है, जिससे पशुओं की मौत तक हो जाती है.
पालतू और दुधारू पशुओं का ऐसे करें बचाव
ऐसे में पशुपालन करने वाले किसानों को बारिश के मौसम में अलर्ट रहना चाहिए. इस दौरान मवेशियों को बारिश में भीगने से बचाना चाहिए. पशुओं के बाड़े और आसपास के स्थान को साफ और स्वच्छ रखना होगा. पशुओं को स्वच्छ और पोषक तत्वों से भरपूर नमी रहित चारा खिलाना होगा. पशुओं के स्वभाव में बदलाव होने पर तुरंत पशु चिकित्सक से सपर्क कर परामर्श करना आवश्यक है. सही समय पर मवेशियों को सभी आवश्यक जरूरी टीके भी लगवाना चाहिए. बरसात के मौसम के दौरान अपने मवेशियों को जितना हो सकें, उन्हें उतना साफ और स्वच्छ रखने का प्रयास करें. इससे संक्रमित बीमारियों के फैलने का खतरा कम होगा.
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