कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। “यह आपके तीरंदाज अधिकारियों की बैठक नहीं चल रही है,यह हाइकोर्ट है,जॉइंट डायरेक्ट मैडम आपको हमने नहीं बुलाया है,आपको जानकारी नही है फिर भी बिना फुलस्टॉप के बोले जा रही हो, थोड़ा पढ़ कर आया करो”।ये सख्त टिप्पणी मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने स्वर्ण रेखा नदी के सौंदर्यीकरण-संरक्षण मामले से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के दौरान की। हाइकोर्ट की डबल बैंच में सुनवाई के दौरान मंगलवार को शासन ने एफिडेविट पेश किया। अर्बन एडमिनिस्ट्रेशन भोपाल की जॉइंट डायरेक्टर ने यह एफिडेविट पेश किया। कोर्ट ने अंतिम सुनवाई के दौरान मांगी गई जानकारी न दे पाने और एक बार फिर पेश किए गए एफिडेविट में खामियां मिलने पर यह सख्त नाराजगी जाहिर की है।
दरअसल इतिहास के पन्नों में स्वर्ण रेखा नदी को ग्वालियर की जीवनदायानी कहा जाता है,वर्तमान में स्वर्ण रेखा नदी नाले में तब्दील हो चुकी है और इसके सौंदर्यीकरण-संरक्षण और पुनुरुद्धार के लिए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच में एडवोकेट विश्वजीत रातोनिया ने जनहित याचिका दायर की है,मामले पर मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने निगम कमिश्नर और जॉइंट डायरेक्टर को फटकार लगाते हुए सख्त टिप्पणी कि-“हम जनता का पैसा बर्बाद नही होने देंगे। हर बार सर्वे के लिए समय मांगते हो,कोर्ट मे एफिडेविट पेश करते हो कि सर्वे करा लिया है,आखिर यह चल क्या रहा है?”
स्टेट टाइम की डाली गई सीवरेज लाइन 50 साल तक चली,लेकिन आपकी सीवरेज लाइन 10 साल भी नहीं चल रही है,फिर भी आप दावा कर रहे हो कि 83 फीसदी जगह शहर में सीवरेज लाइन है। सर्वे रिपोर्ट कहाँ है? कितनी सीवरेज चालू है? कितना लोड वे ले पा रही है? ये जानकारी है नहीं और दावा कर रहे हो कि सर्वे कराया है। हकीकत है कि कहीं भी टेक्नीकल असिसमेन्ट नही हुआ है।
नदी में साफ पानी बहे, लोग उसका पानी पिए
हम चाहते हैं कि ग्वालियर की स्वर्ण रेखा नदी में साफ पानी बहे, लोग उसका पानी पिए, यह तब तक संभव नहीं है जब तक स्वर्णरेखा में नालों का गंदा पानी और सॉलिड गार्बेज मिलने से नही रोका जाता। एक समय था जब साबरमती नदी भी पूरी तरह से सूख गई थी लेकिन वहां के लोगों प्रशासन के साथ स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने संयुक्त रूप से काम किया और आज वहां पर तस्वीर बदल गई है, लेकिन आप लोग बस सर्वे और एफिडेविट तक ही सीमित हो।
सख्त नोट शीट तैयार करके जाऊंगा
-“आप लोग सो रहे होंगे कि मैं अगले महीने रिटायर हो जाऊंगा, मामला कोर्ट में चलता रहेगा, इस भूल में मत रहना। सख्त नोट शीट तैयार करके जाऊंगा ताकि आने वाले न्यायमूर्ति आप लोगों के दिए गए एफिडेविट को पढ़ें और मेरी बनाई नोट शीट के आधार पर आप लोगों के खिलाफ क्रिमिनल केस चलाएं”। अब हम आपके पेपर के आंकड़ों पर नहीं जाएंगे, अब हम फिजिकल ग्राउंड पर जाएंगे। जरूरत पड़ने पर अपनी तरफ से एजेंसी डेप्लॉय करेंगे। शासन को सर्वे के लिए वक्त चाहिए हम सर्वे के लिए वक्त देने तैयार हैं लेकिन उससे पहले अब आपकी सर्वे करने वाली एजेंसी को कोर्ट के सामने खड़ा होना होगा और हमारे सवालों के जवाब देने होंगे। उसके बाद ही हम सर्वे की परमिशन देंगे।
DPR की जानकारी पेश करने के निर्देश
गौरतलब है कि कोर्ट ने बीती सुनवाई में शासन को एफिडेविट के साथ प्रॉपर डिटेल रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है,साथ ही 2017 से अब तक स्वर्ण रेखा प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों को भी तलब किया था, लेकिन प्रॉपर रिपोर्ट पेश न होने पर यह सख्त टिप्पणी कर नाराजगी जाहिर की है। फिलहाल कोर्ट ने आगामी 14 मार्च को मामले की सुनवाई तय की है। इस दिन कोर्ट ने निगम के लिए सर्वे का काम करने वाली एजेंसी को तलब करते हुए प्रॉपर स्टेटस रिपोर्ट और DPR की जानकारी पेश करने के निर्देश दिए है। जानकारी याचिकाकर्ता अधिवक्ता विश्वजीत रतोनिया ने दी।
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