नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय के सहयोग से जामिया मिलिया इस्लामिया (JMI) के एक फैकल्टी और उनकी टीम ऐसा कूड़ेदान बनाया है, जो इंसानों की तरह व्यवहार करता है और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से बुद्धिमानी से काम करता है. जामिया के इस नए अविष्कार को ऑस्ट्रेलिया सरकार द्वारा बौद्धिक संपदा के रूप में पेटेंट प्रदान किया गया है. ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ड डस्टबिन’ शीर्षक के आविष्कार का मुख्य उद्देश्य कूड़ेदान को उसमें फेंके गए विस्फोटक, रेडियोधर्मी सामग्री आदि जैसी हानिकारक वस्तुओं का पता लगाने में सक्षम बनाकर उसे स्मार्ट बनाना है. सेंसर डस्टबिन के साथ लगे होते हैं, जो इसमें डंप की गई किसी भी हानिकारक वस्तु के बारे में संकेत भेजकर सूचित करेंगे.

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जामिया मिलिया इस्लामिया के फैकल्टी डॉ. मनसफ ने ये आविष्कार किया है. इसमें डॉ. किरण चौधरी, शिवाजी कॉलेज, डीयू और अन्य संस्थानों के शोधकर्ता भी टीम का हिस्सा थे. डॉ आलम एसोसिएट प्रोफेसर, बिग डेटा, क्लाउड कंप्यूटिंग और आईओटी प्रयोगशाला, कंप्यूटर विज्ञान विभाग भी इसमें शामिल रहे हैं. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित डस्टबिन को पेटेंट कार्यालय, ऑस्ट्रेलिया सरकार द्वारा बौद्धिक संपदा के रूप में पेटेंट दिया गया है. डॉ आलम ने कहा कि हमने इस कूड़ेदान को सुरक्षा पहलू को ध्यान में रखते हुए विकसित किया है, जिससे कूड़ेदान इंसानों की तरह व्यवहार करते हैं और कृत्रिम बुद्धि की मदद से बुद्धिमानी से काम करते हैं. यह निश्चित रूप से समाज के लिए एक उपयोगी उत्पाद होगा.

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गौरतलब है कि स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, यूएसए ने दुनिया के शीर्ष 2 प्रतिशत वैज्ञानिकों की प्रतिष्ठित वैश्विक सूची में जामिया के 16 शोधकर्ताओं को शामिल किया है. यह सूची कुछ स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के एमिनेंट प्रोफेसर, प्रोफेसर जॉन इओनिडिस के नेतृत्व में विशेषज्ञों की एक टीम द्वारा तैयार की गई है. इसे एल्सेवियर बीवी, विश्वप्रसिद्ध विश्वविद्यालय ने प्रकाशित किया है. भारत से कुल 3,352 शोधकर्ताओं ने इस सूची में स्थान पाया, जो वैश्विक शोध मंच पर देश के बहुमूल्य प्रभाव का प्रतिनिधित्व करता है. इनमें से 16 शोधकतार्ओं जामिया मिलिया इस्लामिया (जेएमआई) से संबंधित है. स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा दो अलग-अलग सूचियां जारी की गईं. पहली प्रतिष्ठित सूची करियर-लॉन्ग डेटा पर आधारित है, जिसमें 08 जामिया प्रोफेसरों ने अपनी जगह बनाई. साल 2020 के प्रदर्शन की दूसरी सूची में संस्थान के 16 वैज्ञानिक हैं.