प्रतीक चौहान. पूरे देश में इन दिनों टमाटर के रेट को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. रायपुर से लेकर दिल्ली तक टमाटर के रेट 100 से 200 रूपए प्रति किलो की दर से बिक रहे है. आज हम आपको अपनी इस एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ के एक किसान अरूण कुमार साहू के बारे में बताने जा रहे है, जो अपने 150 एकड़ के अलग-अलग खेतों से रोजाना 600 से 700 कैरेट टमाटर मार्केट में सप्लाई कर रहे है और इससे उन्हें रोजाना 10 लाख रूपए से अधिक की आय हो रही है, आप ये जानकर हैरान हो जाएंगे कि पूरे देश में जिस बारिश की वजह से किसानों की फसल चौपट हुई है. इसी बारिश में वे अपने खेतों में बैगन की जड़ में ग्राफ्टिंग कर टमाटर की बंपर पैदावार ले रहे है, वर्तमान में वे सब्जी विक्रेताओं को 60 रूपए प्रति किलो यानी 1500 रूपए प्रति कैरेट की दर से टमाटर बेच रहे है.
इस एक्सक्लूसिव रिपोर्ट को बनाने के लिए लल्लूराम डॉट कॉम की टीम राजधानी रायपुर से 122 किलोमीटर दूर नगरी पहुंची, वहां से करीब 3-4 किलोमीटर दूर बिरनपुर गांव पहुंची जहां 2 अलग-अलग खेतों में किसान अरूण कुमार साहू ने 75 एकड़ में सिर्फ टमाटर लगाए है. ये सभी ग्राफ्टिंग पौधे है. यानी इन सभी टमाटर के पौधों में फल यानी उग तो टमाटर रहे है, लेकिन इनकी जड़े बैगन की है. यही कारण है कि इतनी बारिश और पानी में भी टमाटर के पौधों में फलों की बंपर पैदावार हो रही है.
जाने कौन हैं छत्तीसगढ़ का ये किसान
धमतरी जिले के विभिन्न क्षेत्रों में 300 एकड़ से ज्यादा में खेती करने वाले अरूण कुमार साहू वर्ष 2007 से खेती कर रहे है. उनके इस फिल्ड में आने की रोचक बात ये है कि उन्होंने शुरू से ठान लिया था कि वे नौकरी नहीं करेंगे. यही कारण है कि रायपुर में बीएससी की पढ़ाई के दौरान वे पहले वर्ष की परीक्षा का पेपर देकर अपने घर लौट गए और घर में कहा कि उन्हें पढ़ाई नहीं करनी है. क्योंकि उनको नौकरी नहीं करनी. इसके बाद उन्होंने अपने पुष्तैनी खेत में पहले धान उगाया, जो बारिश की वजह से खराब हो गया. तब किसानों को धान का सही मूल्य भी सरकार से नहीं मिल रहा था, इसलिए उन्होंने 105 एकड़ में चना की फसल ली. लेकिन उस वर्ष तीन दिनों तक लगातार हुई बारिश ने उनकी ये फसल भी बर्बाद कर दी. वे केवल 3 एकड़ में होने वाली फसल को ही बचा पाए.
इसके बाद उन्होंने हाईटेक खेती को समझने के लिए विमल भाई चावड़ा से सलाह ली. कृषक अरूण कुमार साहू बताते है कि मुझे आज भी याद है कि विमल भाई चावड़ा से जब उनकी पहली मुलाकात हुई थी तो वो उन्हें अपने खेत को दिखवाने के लिए अपने ड्राइवर को भेज दिए और वे 3 घंटे बारिश में वहां फंसे रहे, जहां उनका चौकीदार रहता था. यही कारण है कि वे आज भी उन्हें अपनी उन्नत खेती के लिए विमल भाई चावड़ा को अपना गुरू मानते है.
कृषक अरूण कुमार साहू बताते है कि वर्तमान में वे 150 एकड़ में टमाटर की फसल ले रहे है, बाकी में जाम, भाटा समेत अन्य सब्जियों की फसल ले रहे है. उनके ये टमाटर वर्तमान में ओड़िशा, आंध्रप्रदेश और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में सप्लाई होते है. लेकिन वे अपने प्रदेश के व्यापारियों को पहली प्राथमिकता देते है, जिससे यहां टमाटर के दाम तेजी से न बढ़े.
ये छत्तीसगढ़ के लिए गौरव की बात
कृषि आदान सामग्री के विक्रेता एवं नर्सरी संचालक मितुल कोठारी कहते है कि मार्च माह में छत्तीसगढ़ में कोई टमाटर नहीं लगाता है, क्योंकि यंहा का मौसम इसके अनुकूल नहीं रहता है. लेकिन नगरी के किसान अरूण कुमार अपने खेतों से रोजाना 600-700 कैरेट टमाटर निकाल रहे वो वे आश्चर्यजनक है और ये प्रदेश के लिए गर्व की बात भी है.