पुरुषोत्तम पात्रा,गरियाबंद. प्रदेश की कुछ जिले ऐसे है जहां स्वच्छता अभियान के नाम पर खानापूर्ती कर दिया गया है. ऐसा ही एक जिला गरियाबंद है. जिसे भले ही ओडीएफ घोषित कर दिया गया हो, लेकिन यह ओडीएफ सिर्फ कागजों तक ही सीमित है. क्योंकि न तो यहां लोगों के लिए शौचालय का निर्माण हो सका है और न ही गांवों को स्वच्छ बनाया जा सका है. इसलिए हम आपको जो जमीनी हकीकत बताने जा रहे है वो सरकार के विकास के दावों की पोल खोल कर रख देगी.
ये जो तस्वीरें आप देख रहें है इसे देखकर तो आप सब समझ ही गए होंगे. कि गरियाबंद जिले में स्वच्छता अभियान किस तरह संचालित हो रहा है. अब आपको हम ये भी बता दें कि ये जो तस्वीरें है वो देवभोग विकासखंड की खोखमा पंचायत की है. ऐसी तस्वीरें और ऐसे हालात आपको जिले के दर्जनों गांवों में देखने को मिल जायेंगे.
ये है हकीकत
यहां शौचालय तो बना दिए गए है, मगर ये शौचालय उपयोग के लायक नहीं है. इन शौचालयों में किसी का दरवाजा गायब है, तो किसी का गढ्ढा ही गायब है, यहां तक की किसी का कमोड ही गायब है. इस तरह की व्यवस्था को देखकर आप अंदाजा तो लगा ही लिए होंगे की जमीनी हकीकत क्या है.
अधिकारी रटा रटाया दे रहे जवाब
जिम्मेदारों ने अधिकारियों ने तो पहले नियमों को ताक पर रखकर शौचालयों का निर्माण कर दिया और अब शौचालयों के उपयोग के लिए जो तर्क उनके द्वारा दिये जा रहे है वे भी कम हास्यप्रद नहीं है. जिला अधिकारी तो स्वच्छता अभियान के लिए कड़ी मेहनत करने का दावा कर रहे है और सबकुछ ठीक होने की बात कहने से भी गुरहेज नहीं कर रहे है.
दिखावा बनकर रह गया शौचालय
स्वच्छता अभियान के नाम पर बनाए गए ये शौचालय महज दिखावा बनकर रह गए है. सरकार ने जिस उद्देश्य और मकसद से इनका निर्माण करवाया था वह इन शौचालयों के हालात को देखकर पूरा होता नजर नहीं आ रहा है. अब देखने वाली बात होगी कि शौचालयों की स्थिति सुधारने के लिए जिला प्रशासन कोई दिशा निर्देश जारी करती है, या फिर ये शौचालय यूं ही महज एक दिखावा बनकर रह जायेंगे.