रायपुर. बार्डर पर अपनी जान जोखिम में डालकर देश की हिफाज़त करने वाले जवान की कीमत क्या देश के अंदर बिल्कुल भी नहीं है. ये सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि छत्तीसगढ़ में एक आदिवासी जवान और उसके भाई पर जानलेवा हमला हुआ लेकिन ये जवान पिछले छै महीने से इंसाफ के लिए जूझ रहा है. पुलिस के आलाधिकारियों को उसने, सेना ने और आदिवासी समाज ने कार्रवाई को लेकर 10 बार आवेदन दिए. लेकिन आज तक इंसाफ नहीं मिल पाया है. 6 महीने बाद भी 20 में से केवल 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. ये हाल उस छत्तीसगढ़ का है जिसे आदिवासियों का प्रदेश कहा जाता है.
सरगुजा के रहने आर्मी के जवान प्रकाश कुमार का आऱोप है कि 1 फरवरी को उनके पड़ोसी गांव के करीब दो दर्जन लोगों ने उसे और उनके भाई हरिवंश को अगवा कर लिया. उन्हें बंधक बनाकर उसके साथ मारपीट की गई. लेकिन रिपोर्ट दर्ज कराए उसे करीब 6 महीने हो गए, उसे आज भी इंसाफ नहीं मिला है. प्रकाश कुमार का कहना है कि जब दबाव बनता है तो कुछ पुलिस कुछ लोगों को रात को गिरफ्तार करके सुबह छोड़ देती है. वहीं लुंड्रा पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि मामला दोनों तरफ से दर्ज हुआ है, इस मामले में अब तक 6 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है. हालांकि पुलिस में प्रकाश कुमार ने 14 लोगों – नारद यादव , रंजू यादव, काशी यादव, पूरन यादव , आनंद यादव, रामू यादव, शिव कुमार यादव, माधव यादव, शिवमंगल यादव, शिथुल यादव, राजेश यादव, राजू यादव, अंगद यादव, रुस्तम यादव के खिलाफ नामजद और कुछ अज्ञात के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई है.
प्रकाश कुमार का कहना है कि पुलिस शुरुआती तौर पर बेहद सामान्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था. जबकि उनके और उनके भाई हरिवंश के खिलाफ आरोपियों ने बार-बार जातिगत टिप्पणियां की थीं. बाद में अनुसूचित जनजाति आयोग के दखल के बाद 365 पीपीसी, अपहरण एसटी एक्ट के तहत 3(1) (द) (ध) जोड़ी गईं.
सरगुजा पुलिस आदिवासियों के प्रति पताड़ना और अपनी जांच को लेकर अक्सर विवादों में रही है. राज्य में कई बड़े गंभीर अपराधों को न सुलझाना उसके खाते में दर्ज है. पिछले कुछ सालों से आदिवासियों के खिलाफ पुलिसिया उत्पीड़न की कई गंभीर शिकायतें आई हैं. इससे पहले सरगुजा पुलिस की कस्टडी में एक आदिवासी युवक पंकज बेग की मौत हो गई थी. जिसका मामला अभी तक गर्म है. परिजनों ने पुलिस पर हत्या करने का आऱोप लगाया है. अब प्रकाश कुमार और उसके भाई पर हमले ने आदिवासियों समाज को नाराज़ कर दिया है.
कौन है फौजी प्रकाश कुमार
प्रकाश कुमार लुंड्रा तहसील के बकनाकला गांव का रहने वाले हैं. वे आर्मी में 2009 में हैं. उनकी मौजूदा पोस्टिंग कश्मीर बारामुला में है. वे 30 राष्ट्रीय राइफल के जवान हैं. 2018 से वे आतंकवादियों से लोहा ले रहे है. चीन के बॉर्डर पर उन्होंने तीन साल अपनी सेवाएं दी हैं. साल 2017 में वे भारतीय सेना के शांतिदूत बनकर दक्षिण अफ्रीका गए थे. वहां 7 महीने रहे.
क्या थी पूरी घटना
दिसंबर 19 में वे अपने गांव बकना कलां छुट्टी पर 57 दिनों के लिए आए थे. 4 फरवरी को उन्हें कश्मीर में रिपोर्ट करना था. वे 1 फरवरी को रात आठ बजे घर से अपने भाई हरवंश के साथ निकले. वे अंबिकापुर से अनुपपुर – होते हुए दिल्ली की ट्रेन पकड़ने के लिए रवाना हुए थे. रास्ते में करदोनी के दो युवक रंजू यादव और नारद यादव जा रहे थे. प्रकाश का कहना है कि उन लोगों ने बार-बार हार्न मारने के बाद भी इन्हें रास्ता नहीं दिया. प्रकाश के भाई ने एक जगह रास्ता मिलने पर गाड़ी को ओवरटेक किया. इस पर रंजू और नारद की गाड़ी टकरा गई. दोनों गिर गए. दोनों के गिरने के बाद प्रकाश और उसके भाई गाड़ी रोककर उन्हे उठाने आए. इस पर रंजू और नारद गालीगलौज करने लगे. उनके भाई हरिवंश को मारने लगे. इस बीच उनके कई रिश्तेदार वहां पहुंच गए और
प्रकाश का कहना है कि वहां मौजूद एक लकड़हारे की टांगी लेकर हरिवंश को मारने दौड़े. तब उन्होंने अपने भाई की जान बचाई. इस दौरान आदिवासी होने का सबने खूब उलाहना दिया. जब प्रकाश ने बताया कि उन्हें जाने दें क्योंकि उसकी ट्रेन है और आर्मी में उसे रिपोर्टिंग करनी है तो आरक्षण को लेकर उनके खिलाफ वे लोग टिप्पणी करने लगे. वे नहीं माने और सब उन्हें मारते-पीटते अपने गांव ले आए. इस दौरान किसी ने थाने फोन कर दिया. जिसके बाद पुलिस सबको लेकर लुंड्रा थाने ले गई.
प्रकाश का कहना है कि थाने में पुलिस वालों ने मारपीट करने वालों को चाय नाश्ता कराया. वे हतप्रभ थे. उन्होंने रिपोर्ट कराने को कहा तो थाने में मौजूद पुलिस वाले बेवकूफ कहने लगे. इसके बाद भी वे रिपोर्ट दर्ज कराने पर अड़े रहे तो बकौल प्रकाश पुलिस वाले ने रंजू और नारद के परिजनों को काउंटर रिपोर्ट कराने का सुझाव दिया. प्रकाश का कहना है कि आर्मी के जवान होने के बाद भी जो शर्मिंदगी उन्हें पुलिस वाले के भेदभाव पूर्ण रवैये को लेकर झेलनी पड़ी, वो अकल्पनीय थी.
प्रकाश का कहना है कि उन्हें वहां चार से पांच घंटे बैठाकर रखा गया. इस दौरान उनके पिता को घऱ में घुसकर मारने की धमकी मिलने की जानकारी भी प्रकाश को लगी. पुलिस ने उनकी शिकायत पर प्रकाश और उसके भाई के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली. इसके बाद प्रकाश ने अपनी छुट्टियां बढ़ाई. प्रकाश का कहना है कि उसके भाई की तबियत खराब हो गई थी. उसे ज़्यादा चोटें आई जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया.
पुलिस वालों का रवैया देखकर प्रकाश ने तात्कालीन एसपी आशुतोष सिंह से 5 फरवरी को मुलाकात की. उसके बाद 6 फऱवरी को आईजी से शिकायत की लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई. 12 फरवरी को प्रकाश आर्मी ज्वाइन करने निकल गए. इस बीच उनके पिता ने 7 मार्च को आईजी से फिर मुलाकात की और कार्रवाई की मांग की. जब कार्रवाई नहीं की गई. तो 4 अगस्त को चिट्ठी भेजकर एसपी, आईजी और डीजीपी को फिर से शिकायत की गई.
इस दौरान आर्मी ने भी अपने जवान के साथ खड़ी हुई और आर्मी की तरफ से मामले की जांच और दोषियों पर कार्रवाई के लिए 9 मार्च, 13 मई और 9 अगस्त को शिकायतें हुईं. लेकिन इसका कोई जवाब पुलिस की ओर से नहीं आया. प्रकाश का कहना है कि कोई कार्रवाई न होता देख उन्होंने अऩुसूचित जनजाति आयोग को पत्र लिखा जिसके बाद आरोपियों के खिलाफ अन्य धाराएँ जोड़ी गईं.
प्रकाश का कहना है कि आरोपियों पर कार्रवाई की खानापूर्ति हो रही है. उन्हें आरोपियों द्वारा नौकरी लेने की धमकी दी जा रही है. मामले में आदिवासी समाज के कार्यकारी अध्यक्ष अरविंद अमृत ने चिट्ठी लिखी है जिसमें उन्होंने पुलिस और प्रशासन पर भेदभाव का आरोप लगाया है. प्रकाश का कहना है कि सभी आरोपियों की गिरफ्तारी हो. पुलिस वाले उनकी मदद बंद करें.
क्या कहना है दूसरे पक्ष का
वही इस पूरे मामले पर नारद यादव और रंजू यादव ने लल्लूराम डॉट कॉम को बयान देकर कहा है कि ये महज बाइक एक्सीडेंट की घटना है. जिस दिन यह घटना हुई उस दिन नारद यादव और रंजू यादव दूध बेचने अंबिकापुर की ओर जा रहे थे. उस दिन पीछे से प्रकाश पोर्ते और उसका भाई हरिवंश पोर्ते ने तेज़ी से बाइक चलाते हुए उन्हें ओवरटेक किया. इससे बाइक को महुआ के पास की संकरी सड़क पर टक्कर लगी. दोनों गिर गए. उनका सामान भी गिर गया. इसके बाद दोनों ने उऩके साथ गालीगलौज की. इसके बाद विरोध करने पर उनके साथ दोनों ने मारपीट की. गांववालों ने उनका झगड़ा शांत कराया. बाद में नारद यादव के परिजनों ने पुलिस को फोन किया. पुलिस दोनों पक्षों को थाने ले गई. रंजू यादव और नारद यादव ने प्रकाश पर आर्मी के जवान होने का धौंस दिखाने का आरोप भी लगाया है. दोनों लोगों ने पुलिस की कार्रवाई को भी सही ठहाराया है. दोनों का कहना है कि प्रकाश ने मामले को बड़ा बना दिया जबकि पुलिस ने पूरा सहयोग किया और मामले के मुख्य आरोपी सहित 6 लोगों को जेल भी भेज दिया था.