नई दिल्ली . दिल्ली सेवा अधिनियम के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी (आप) और भाजपा आमने-सामने हैं. दोनों ओर से आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं. रविवार को दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज और भाजपा प्रदेश सचिव बांसुरी स्वराज ने एक-दूसरे पर तीखे तीर चलाए.
सौरभ भारद्वाज ने कहा, मेरा मानना है कि मौजूदा अधिनियम संविधान की मूल भावना के खिलाफ है. कई बार ऐसा हुआ है कि जो कानून सरकार ने पास किए हैं वो संविधान की मूल भावना के खिलाफ हुए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें पलट दिया. संविधान कहता है कि सरकार जनता चलाएगी, जो अपने द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों के माध्यम से चलाएगी. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम-2023 को राष्ट्रपति द्वारा शनिवार को मंजूरी दी जा चुकी है, जिसके बाद दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज का बयान सामने आया. एक मीडिया एजेंसी को दिए बयान में उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि कोर्ट इस कानून पलट देगा और संविधान को लागू करेगा, लेकिन जब तक दिल्ली में अराजकता रहेगी. उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली के उपराज्यपाल मनमाने तरीके से सरकार को चलाएंगे. जनता से जुड़े कामों को रोकेंगे. जल बोर्ड, पेंशन, अस्पतालों तक के काम को ठप करने की कोशिश करेंगे.
मंत्री को पूरी जानकारी नहीं बांसुरी स्वराज
दिल्ली भाजपा सचिव बांसुरी स्वराज ने कहा कि 11 मई को सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ ने अपने फैसले के तहत पैरा 164 (एफ) में स्पष्ट किया है कि दिल्ली सरकार की कार्यकारी शक्तियां संसद द्वारा अधिनियमित कानून द्वारा केंद्र सरकार को प्रदत्त शक्तियों के अधीन हैं. अनुच्छेद 239 एए (3) भारत की संसद को दिल्ली के लिए कानून बनाने में प्रधानता प्रदान करता है. आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार के मंत्री को कानून की पूरी जानकारी नहीं है.