स्पोर्ट्स डेस्क. भले ही कोई क्रिकेटर टीम इंडिया का सफर तय नहीं कर सका, तो क्या हुआ, कोई-कोई क्रिकेटर ऐसे होते हैं जो घरेलू क्रिकेट में ही अपनी एक अलग पहचान बना लेते हैं. अपने खेल और उस खेल के प्रति अपनी जीवटता से उनकी एक अलग पहचान बन जाती है. मध्यप्रदेश के एक ऐसे ही क्रिकेटर ने अपने 22 साल के क्रिकेट करियर को विराम दे दिया.
बुंदेला ने लिया संन्यास
लंबे समय तक मध्यप्रदेश रणजी टीम के कप्तान रहे देवेंन्द्र बुंदेला ने क्रिकेट को पूरी तरह से अलविदा कह दिया है. देवेंन्द्र बुंदेला मध्यप्रदेश टीम के सबसे सीनियर और धाकड़ खिलाड़ियों में से एक रहे. 41 साल के बुंदेला ने रविवार को होल्कर स्टेडियम में अपने संन्यास का ऐलान कर दिया.
संन्यास के बाद बोले बुंदेला
देंवेंन्द्र बुंदेला ने क्रिकेट से सन्यास लेने के बाद कहा कि उन्हें इस बात का मलाल जरूर रहेगा कि वो अपनी कप्तानी में मध्यप्रदेश की टीम को रणजी ट्रॉफी में चैंपियन नहीं बना सके. सन्यास के वक्त अपनी विदाई पर बुंदेला थोड़ा भावुक नजर आए. हालांकि उन्होंने ये बात भी कही कि अगर उन्हें मध्यप्रदेश क्रिकेट संगठन की ओर से कोई जिम्मेदारी दी जाती है तो वो उसके लिए तैयार हैं.
बुंदेला का क्रिकेट करियर
फर्स्ट क्लास क्रिकेट में बुंदेला का क्रिकेटर करियर बहुत शानदार है. देवेंन्द्र बुंदेला ने 1995 में मध्यप्रदेश की टीम में डेब्यू किया था और उसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और आज 22 साल के लंबे करियर के बाद क्रिकेट को अलविदा कहा है. बुंदेला ने अपने फर्स्ट क्लास क्रिकेट करियर में 164 मैच खेले हैं. जिसमें 261 पारियों में 32 बार नॉट आउट रहे और 10,004 रन बनाए हैं. बुंदेला ये कारनामा करने वाले मध्यप्रदेश के इकलौते खिलाड़ी हैं और देश के चुनिंदा. टीम में बूंदी भाई के नाम से फेमस देवेंन्द्र बुंदेला ने 43.68 की औसत से रन बनाए हैं. जिसमें 26 शतक तो वहीं 54 अर्धशतक लगाए हैं. बुंदेला की बल्लेबाजी के अलावा फील्डिंग भी शानदार रही, बुंदेला ने अपने क्रिकेट करियर में 103 कैच लपके हैं तो वहीं गेंदबाजी में भी 164 मैच में 58 बल्लेबाजों को अपना शिकार बनाया है.