केरल. जनता की गाढ़ी कमाई के पैसे पर नेताओं के ऐश करने की खबरें आम हो गई हैं. अक्सर नेता जनता के पैसे पर ऐश करना अपना धर्म समझते हैं. केरल के एक बड़े नेता जी की बेहद छोटी और ओछी हरकत इन दिनों सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रही है.
दरअसल केरल विधानसभा के अध्यक्ष हैं पी. श्रीरामकृष्णन. साहब नेता हैं. केरल में इनकी सरकार है. फिर डर किस बात का है. नेता जी को भी एक चश्मा पहनना था. वो भी बेहद महंगा चश्मा. जब शौक पूरे करने की बात हो तो बेचारी गरीब जनता औऱ उसकी गाढ़ी कमाई किस दिन काम आएगी. बस नेता जी को ये आइडिया जंच गया. नेताजी ने चश्मा खरीद डाला. वो भी एक दो या पांच हजार का नहीं बल्कि पूरे पचास हजार की कीमत का. अब नेता जी बड़े नेता हैं तो चश्मा भी उनके कद के हिसाब से होना चाहिए था. पचास हजार का चश्मा वो भी किसके खाते से. इस चश्मे को खरीदने के लिए रकम चुकाई गई सरकार के खाते से. यानि हमारी और आपकी गाढ़ी कमाई से नेता जी ने पचास हजार का चश्मा खरीद लिया.
खास बात ये है कि केरल सरकार भयंकर रुप से नकदी की कमी से जूझ रही है. सरकार के पास फंड की बेहद कमी है. वैसे आपको बता दें नेता जी उस पार्टी से जुड़े हैं जो शानो शौकत औऱ खर्चीलेपन के खिलाफ बातें करती रहती है. जी हां. कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े हैं ये नेता जी. वैसे भी भले ही पार्टी कितनी लंबी चौड़ी बातें करे. अजी ये तो बाते हैं, बातों का क्या. उधर, सरकार भी इस मामले पर हर तरफ से घिर गई है लेकिन नेता जी तो ठहरे नेताजी.
सबसे खास बात ये है कि केरल की कम्युनिस्ट सरकार ने बजट पेश करते हुए कहा था कि सरकार को कड़े वित्तीय मानदंडों का पालन करना होगा क्योंकि सरकार के पास फंड की बेहद कमी है. ऐसे में नेताजी का ये कारनामा सरकार के गले की फांस बन गया है. वैसे नेता जी के चश्मे की डिटेल भी जान लीजिए. इनके चश्मे के फ्रेम पर 5 हजार रुपये खर्च किए गए हैं जबकि चश्मे के लेंस पर 45 हजार रुपये खर्च हुए. न जाने 45 हजार के लेंस से नेता जी कौन सी दुनिया देखना चाहते हैं. वैसे भी नेता जी हैं कुछ सोच समझकर जनता की भलाई करने के लिए ही इतना महंगा चश्मा खरीदा होगा इन्होंने, वर्ना कौन नेता जनता की भलाई के लिए इतना महंगा चश्मा खरीदता है.
वैसे नेता जी के कारनामे यहीं खत्म नहीं होते हैं. सिर्फ तीन महीने में ही नेता जी सरकारी कोष से पांच लाख रुपये अपनी शानो शौकत पर खर्च कर चुके हैं. भले ही इनकी पार्टी सादगी की बात करती हो और इनकी ही पार्टी के दूसरे बड़े नेता बेहद सादगी से जिंदगी काटने में यकीन रखते हों लेकिन केरल के विधानसभा अध्यक्ष महोदय को शायद सादगी में मजा नहीं आता. वैसे भी जब खर्च करने के लिए जनता का पैसा हो तो फिकर वैसे भी किसी नेता को नहीं करनी चाहिए.