नीरज काकोटिया, बालाघाट। बालाघाट नगर मुख्यालय के वार्ड नंबर 8 में एक बुजुर्ग की मौत के बाद अंतिम संस्कार 32 घंटे बाद तब हो सका जब प्रशासन ने हस्तक्षेप किया। शव को निकालने में मदद करते हुए दीवार लांघकर बाहर निकलवा गया।

दरअसल पूरा मामला जमीन विवाद के चलते रास्ता नहीं होने के कारण सामने आया था। बुजुर्ग भाऊराव अमूलकर की 31 मार्च को सुबह 6 बजे मौत हो गई थी लेकिन उसका जहां पर निवास था उसके दोनों ओर आने जाने के लिए कोई रास्ता नहीं था। एक पड़ोसी परिजन अपनी जमीन बताकर बाउंड्री वॉल खींच दी है। इसी परिवार के साथ उनका जमीनी विवाद का मामला 10 से 15 वर्षों से न्यायालय में लंबित है। एक अन्य पड़ोसी जिसके घर से आना जाना हो रहा था उन्होंने शव को अपने घर के भीतर से निकालने से साफ मना कर दिया। शव निकालने को लेकर बनी यह अव्यवस्था परिजन के लिए चिंता का विषय बन गई थी। बाउंड्रीवॉल को तोड़ने की मांग कर रास्ता देने की गुहार प्रशासन से लगाते हुए पुलिस और कलेक्टर कार्यालय पहुंचे थे।

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मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए अपर कलेक्टर से लेकर तमाम प्रशासनिक महकमा मृतक के निवास पहुंचे और स्थिति को भांपते हुए प्रारंभ में तो हस्तक्षेप करने से साफ इनकार कर दिया और उन्होंने सुझाव दिया कि फिलहाल में वह बाउंड्रीवाल के ऊपर से ही शव को बाहर निकाले। लेकिन परिजन तैयार नहीं हुए थे और इस तरह से 31 मार्च को बुजुर्ग का दाह संस्कार नहीं हो सका। दूसरे दिन 1 अप्रैल को फिर यह मामला शव निकाले जाने के विवादास्पद बना रहा। दोपहर 3 बजे तक नहीं निकाला जा सका। अंत में प्रशासन ने इस मामले में हस्तक्षेप कर कुछ सख्ती बरती। जिसके बाद शव को उसी बाउंड्रीवॉल की दीवार लांघकर बाहर निकलवा और अंतिम क्रिया कराई। इस तरह लगभग 32 घंटे तक बुजुर्ग का शव घर पर रखा रहा। तमाम रिश्तेदार भी मौजूद रहे। दाह संस्कार भी प्रशासनिक दखल के चलते संभव हो सका। जानकारी रामबाबू देवांगन तहसीलदार बालाघाट ने दी।

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