राज्य सरकार के पास जो आंकड़ा है, उसके मुताबिक एसटी-एससी वर्ग के लोगों को बैंकों द्वारा ऋण प्रदान करने की औसत दर बेहद कम है। सरकार का प्रयास है कि बैंकिंग प्रणाली के तहत छात्रों को कम ब्याज दरों पर ऋण उपलब्ध कराया जाये, ताकि उच्च शिक्षा के उनके सपनों पर विराम न लगे। स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड के तहत मिलने वाले सॉफ्ट लोन को चुकाने की मियाद 15 साल हो सकती है। इस योजना के तहत आईआईटी, आईआईएम और सिविल सर्विस जैसी परीक्षाओं के साथ-साथ प्रोफेशनल कोर्सेज की पढ़ाई करने वाले छात्र लाभान्वित हो सकते हैं।
इसी सिलसिले में राज्य की ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल की एक टीम जनजातीय बहुल छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, ओडिशा का दौरा कर अनुसूचित जनजाति के छात्रों को शिक्षा ऋण देने के मॉडल का अध्ययन करने वाली है। झारखंड में छोटानागपुर एवं संथाल परगना टेनेंसी एक्ट के प्रावधानों के चलते आदिवासियों की जमीन की बिक्री पर कई तरह की पाबंदियों के चलते इस समुदाय के लोगों को ऋण मिलने में परेशानी होती है।
झारखंड के पहले पश्चिम बंगाल और बिहार में भी सरकारों ने स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना लागू की है। बिहार के छात्रों को इस योजना के तहत चार लाख रुपये तक का ऋण मिलता है। झारखंड सरकार ने यूपीएससी सिविल सर्विस की प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले छात्रों को मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार की तैयारी के लिए एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करने की योजना भी पहले से लागू कर रखी है।