रोहित कश्यप, मुंगेली। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में शिक्षा विभाग ने स्कूल जतन योजना के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किया लेकिन मुंगेली जिले में आज भी 100 से ज्यादा ऐसे स्कूल है, जो कि इस कदर जर्जर है, जिसमें बच्चों की पढ़ाई कराना खतरे से खाली नहीं है. नए सत्र प्रारंभ होने जा रहा है लेकिन इन स्कूलों का जतन नहीं किया जा सका है. अब या तो बच्चे ऐसे ही स्कूलों में पढ़ने मजबूर होंगे या फिर कोई वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी, जैसा कि शिक्षा विभाग के अफसरों का कहना है. स्कूल शिक्षा की नई सत्र शुरुआत होने को है फिर भी कही फंड का अभाव का रोना तो कही और कोई दूसरी वजह है, जिसकी वजह से जर्जर स्कूलों का मरम्मत नहीं हो सकी है. इसको लेकर कहा जा रहा है कि ये सभी स्कूल विघटन करने के लायक है.

एकल शिक्षकीय स्कूल

जिले के 52 प्राथमिक शाला एकल शिक्षकीय है,जबकि गजिया नवागांव (घु) शिक्षक विहीन शाला है.वही कुछ मीडिल स्कूल भी एकल शिक्षकीय होने की ख़बर है.

मुख्यमंत्री जतन योजना के 77 कार्य नहीं हुए शुरू

मुख्यमंत्री जतन योजना के तहत मुंगेली जिले में 577 (स्कूलों के लिए) कार्य स्वीकृत हुए. लोक शिक्षण एवं समग्र शिक्षण मद से स्वीकृत इन कामों में से 500 कार्य ऐसे है, जिसमें से आधा से ज्यादा स्कूलों में काम हो चुके हैं, जबकि कई स्कूलों में कार्य प्रगति पर है. वही 77 कार्य अप्रारंभ है, यानि कहा जा सकता है कि पिछले सत्र के समय से स्वीकृत हुए कार्य इस सत्र के आते तक भी प्रारंभ नहीं होगा.

RES विभाग को बनाया गया निर्माण एजेंसी

जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना के तहत स्कूलों में जतन करने के लिए RES विभाग को एजेंसी बनाया गया है. वही नाम नहीं छापने के शर्त पर कुछ स्कूलों के शिक्षकों के बताए अनुसार इस योजना के तहत जो मरम्मत कार्य कराए गए है धरातल पर उसकी स्थिति कुछ और ही है,जो कि जांच का विषय है.

डीईओ ने कही यह बात

जिला शिक्षा अधिकारी सीके धृतलहरे का कहना है कि जिले के जर्जर स्कूलों की स्थिति को लेकर उच्च कार्यालयों को पत्र प्रेषित कर अवगत कराकर इस समस्या का समाधान करने आग्रह किया गया है. जिले के जिन स्कूलो की स्थिति बच्चों के बैठाने लायक नहीं है,वहां किसी भी बच्चे की जान जोखिम में न डालते हुए वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी.