रायपुर. भारत को मंदिरों का देश यूं ही नहीं कहा जाता. देश में कई ऐसे मंदिर मौजुद है, जिससे जुड़े रहस्यों के बारे में कोई नहीं जानता. मंदिरों के पास रहने वालें लोगों को बस यहां के रहस्यों और चमतकारों का पता होता है. कई मंदिर सालों भर खुले रहते हैं, तो कई मंदिर जो बर्फीले स्थानों में मौजुद हैं उसके कपाट सर्दियों में बंद हो जाते हैं और सिर्फ गर्मियों में खुलते हैं. देवी मंदिरों की बात करें तो भारत में 51 शक्तिपीठ हैं और हर मंदिर की अपनी अलग विशेषता है.

केवल 5 घंटो के लिए खुलता है मंदिर

चैत्र नवरात्रि के मौके पर आज आपको एक ऐसे अनोखे मंदिर से अवगत कराते हैं, जिसके कपाट साल में सिर्फ 5 घंटो के लिए खोले जाते हैं. इस 5 घंटे के समय में ही हजारों भक्त माता के दर्शन के लिए पहुंच जाते हैं. यह अद्भुत मंदिर छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले से 12 किलोमीटर दूर एक पहाड़ी पर स्थित है. इस मंदिर में देवी मां की एक प्रतिमा है, जिन्हें लोग निरई माता के नाम से जानते हैं.

हजारों बकरों की दी जाती है बलि 

साल में सिर्फ 5 घंटे के लिए खुलने वाले इस मंदिर में इस दिन यहां हजारों बकरों की बलि दी जाती है. मान्यता यह है कि बलि चढ़ाने से देवी मां प्रसन्न होकर सभी मनोकामना पूरी करती हैं, वहीं कई लोग मन्नत पूरी होने के बाद भेंट के रूप में जानवरों की बलि देते हैं. लोक कथाओं और मंदिर के आसपास मौजूद लोगों की मानें तो निरई माता के मंदिर में हर साल चैत्र नवरात्रि के समय अपने आप बिना तेल के एक ज्योति प्रज्जवलित होती है और यह ज्योति कैसे जलती है यह अब तक एक रहस्य बना हुआ है.

मंदिर में महिलाओं के प्रवेश और पूजा पाठ पर भी है रोक

इसके अलावा निरई माता के मंदिर में महिलाओं के प्रवेश और पूजा पाठ पर भी रोक है. यहां सिर्फ पुरुष ही पूजा करने के लिए आ सकते हैं. ऐसी मान्यताएं हैं कि इस मंदिर में मांगी गई मन्नतें और मुरादें जरूर पूरी होती हैं.

महिलाएं नहीं खा सकती यहां का प्रसाद

निरई माता मंदिर छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर एक पहाड़ी पर स्थित है. यह मंदिर अंचल के देवी भक्तों की आस्था का मुख्य केंद्र है. यहां जानवरों खासकर बकरे की बलि की प्रथा आज भी जारी है. इस मंदिर में महिलाओं को प्रवेश और पूजा-पाठ की इजाजत नहीं हैं, यहां केवल पुरुष पूजा-पाठ की रीतियों को निभाते हैं. महिलाओं के लिए इस मंदिर का प्रसाद खाना भी वर्जित है, खा लेने पर कुछ न कुछ अनहोनी हो जाती है. ऐसी मान्यताएं हैं.

केवल पांच घंटे होते हैं दर्शन

इस मंदिर के पट साल में केवल एक दिन चैत्र नवरात्रि के पहले रविवार को खुलते हैं. देश के अन्य मंदिरों में जहां दिन भर मातारानी के दर्शन होते हैं, वहीं यहां सुबह 4 बजे से सुबह 9 बजे तक यानि केवल 5 घंटे ही माता के दर्शन किए जा सकते हैं. इस दिन हजारों की संख्या में भक्त निरई माता के दर्शन के लिए गरियाबंद पहुंचते हैं. इस साल मंदिर के पट 10 अप्रैल को खुले थे.