विप्लव गुप्ता, पेण्ड्रा। आजादी के बाद 73 वर्षों में इस देश ने बड़े-बड़े बदलाव देखें. कहीं झुग्गियां, बड़ी इमारतों में तब्दील हो गई, बैल गाड़ियों की जगह आज बड़ी गाड़ियों ने ले ली, कच्ची सड़कें आज पक्की सड़कों में बदल गई. गौरव करने वाली बात है की आज देश के पास लगभग हजारों किमी प्रति घण्टे की रफ्तार वाले कुछ आधुनिक विमान है, इन सबके बीच धीमी रफ्तार और भटकते रास्तों के बीच पैदल पगडंडियों में चलना, किसे नागवार नहीं गुजरेगा.

हम बात कर रहें मरवाही तहसील के छोटे से गांव भुकभुका की, नवगठित जिले गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के मगुरदा ग्राम पंचायत का हिस्सा भुकभुका में बीते 28 सितंबर को गाँव के भानमती पति बुद्धू सिंह उम्र तकरीबन 20 वर्ष को अचानक प्रसव पीड़ा होती है, मामले की गंभीरता को देखते हुए, वहां की स्वास्थ्य मितानिन 102 में कॉल कर स्वास्थ्य विभाग के महतारी एक्सप्रेस को सूचना देती है. कुछ ही समय में महतारी एक्सप्रेस को लेकर स्टाफ रामकुमार व उनके सहकर्मी जंगलों के बीच एक रास्ते से वहां तक पहुंचने की कोशिश करते हैं,लेकिन रास्ता न होने के कारण मरीज से कुछ किमी पहले ही उन्हें रुकना पड़ता है.

इससे आगे की तस्वीर इनकी मजबूरी और पिछड़ेपन को बयां करती है,खटिये का झूला बनाकर उस पर महिला को लिटाकर परिवार 2 किमी पगडंडियों से होते हुए एम्बुलेंस तक काँधे में उठाकर ले आता है. महिला सही समय से अस्पताल पहुंचती है और प्रसव में जच्चा-बच्चा स्वस्थ रहते हैं. मरवाही एमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन गणेश्वर प्रसाद बताते हैं,की क्षेत्र में ऐसे बहोत से गांव है,जहां की स्थिति ऐसी ही है,टिपकापानी, चाकाडाँड़, गंवरखोज, धौराठी कुछ ऐसे जगहों में से है जहां तक हमें पहुंचने के लिए बहोत मुसीबतें आती है,कभी-कभी जान पर बन आती है. कभी घर पर ही प्रसव कराना पड़ता है, तो कभी स्ट्रेचर पर कई किमी तक मरीज को लाना पड़ जाता है.