आशुतोष तिवारी, जगदलपुर. बस्तर में नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में पुलिस को इस वर्ष बड़ी सफलता मिली है. साल 2018 बस्तर पुलिस के लिए उपलब्धियों से भरा साबित हुआ है. बस्तर संभाग के आईजी विवेकानंद सिन्हा ने इस साल मारे गए नक्सलियों का आंकडा जारी किया है. उन्होनें बताया कि इस वर्ष पुलिस-नक्सलियों के बीच 159 मुठभेड़ हुई जिसमें 112 नक्सली मारे गए है. इनके पास से 210 हथियार बरामद हुए हैं. साथ ही इस वर्ष 1104 नक्सली गिरफ्तार किए गए हैं, जबकि 451 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है. वहीं 69 बारूदी विस्फोटों एवं नक्सली हमलों में 53 जवान अब तक शहीद हो चुके हैं.
इसके अलावा नक्सलियों ने इस दौरान 67 आम नागरिकों की हत्या की है. साथ ही 121 जवान विभीन्न नक्सली वारदातों में घायल हुए है. आईजी सिन्हा का कहना है कि देश में सबसे अधिक नक्सल हिंसाग्रस्त छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर संभाग में पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष घटनाओं में काफी कमी आई है. वही बस्तर के ग्रामीण अंचलों में बेहतर कम्युनिटी पुलिसिंग से विधानसभा आम चुनाव भी शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न हुआ है.
बस्तर आईजी विवेकानंद सिन्हा ने बताया कि नक्सल उन्मूलन के तहत बस्तर के सभी सात जिलों में अलग-अलग नाम से पुलिस ने अभियान चलाया है. इसका असर यह हुआ कि कई नक्सली संगठन अपराध की राह छोड़कर मुख्य धारा में लौट आए हैं. इसके अलावा पिछले वर्षों के मुकाबले इस वर्ष बस्तर जोन में घटनाओं में भी कमी आई है.
- 1 जनवरी से 24 दिसंबर तक के बीच बस्तर जोन के दंतेवाड़ा, कांकेर बीजापुर, नारायणपुर, कोंडागांव, सुकमा और बस्तर जिले में कुल 436 नक्सली अपराध दर्ज किये गये हैं.
- पुलिस नक्सली मुठभेड 159, मारे गये नक्सलियों की संख्या 112, गिरफ्तार नक्सलियों की संख्या 1104, समर्पित नक्सली 451, नक्सली कैम्प पर रेड 4, नक्सलियों से विभिन्न प्रकार के 210 हथियार बरामद किये गये हैं.
- वहीं नक्सलियों ने वर्ष 2018 में कुल 69 विस्फोट किए. सुरक्षा बलों के जवानों ने 276 आईईडी बरामद की है. जबकि 1075 डेटोनेटर और 661 जिंदा कारतूस नक्सलियों से जब्त किये गये हैं.
- विभिन्न जिलों में मुठभेड़ और विस्फोट से पैरामिलिट्री फोर्सेस, जिला पुलिस बल, डीआरजी सहित बस्तर में तैनात अन्य सुरक्षा बलों के 53 जवान शहीद हुए हैं.
- मुखबिरी व अन्य कारणों से 67 आम नागरिकों को जान गवानी पड़ी है. सुरक्षा बलों के 121 जवान घायल हुए है. जबकि 30 आम नागरिकों को नक्सलवाद का दर्द सहना पड़ा है.