जालंधर. एनसीपी नेता और पूर्व विधायक बाबा सिद्दीकी की गोली मारकर हत्या की घटना से हड़कंप मचा हुआ है. अब इस मामले में एक बहुत बड़ी जानकारी सामने आई है. बाबा सिद्दीक़ी की हत्या के चौथे आरोपी ज़ीशान अख़्तर, गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का गुर्गे था.
लॉरेंस ने छह महीने पहले पंजाब के जालंधर निवासी जीशान को बाबा सिद्दीक़ी की हत्या की जिम्मेदारी सौंपी थी. उस समय दोनों अपराधी पंजाब की पटियाला जेल में बंद थे. जेल से रिहा होने के बाद ज़ीशान ने तीन निशानेबाजों को किराए पर लिया और चार महीने की तैयारी के बाद अब उसने इस अपराध को अंजाम दिया है. इस घटना में शामिल हरियाणा के कैथल का रहने वाला गुरमेल ज़ीशान का पुराना दोस्त है.
ज़ीशान को हत्या और फिरौती के मामले में किया गया था गिरफ्तार
जालंधर पुलिस के अनुसार, ज़ीशान को 2022 में हत्या और फिरौती के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था. उस समय वह अपराधी विदेशी नंबर पर व्हाट्सएप का इस्तेमाल कर रहा था. उसने मुश्किल से 10वीं तक पढ़ाई की है. उसके पिता मोहम्मद जमील और भाई टाइल ठेकेदार हैं.
पुलिस के अनुसार, लॉरेंस बिश्नोई के करीबी विक्रम बराड़ ने 2021 में जालंधर के ड्रग माफिया रानो से फिरौती की मांग की थी. जब रानो ने फिरौती देने से इनकार किया तो 3 सितंबर 2021 को विक्रम बराड़ ने कपूरथला के ज़ीशान अख़्तर, अंकुश पायआ, विशाल सब्बरवाल, रोहित और बॉबी को भेजा और रानो के घर पर गोली चलाई. वह इस मामले में गिरफ्तार होकर जेल गया था.
अपमान का बदला लेने के लिए बना गैंगस्टर
ज़ीशान महज 21 साल का युवक है, जिसके खिलाफ आधा दर्जन से ज्यादा गंभीर मामले दर्ज हैं. इनमें हत्या, डकैती और लूट के अलावा फिरौती के मामले भी शामिल हैं. जालंधर पुलिस के अनुसार, तीन-चार साल पहले ज़ीशान के पिता की दुकान पर काम करने वाले एक युवक ने फोन चोरी करके बाजार में बेच दिया था. जब उसके पिता को इस बारे में पता चला तो उन्होंने उस आरोपी को बुरी तरह डांटा. इसके बाद आरोपी ने अपने साथियों के साथ आकर ज़ीशान के पिता की पिटाई की और उनकी दाढ़ी काट दी.
नौ साल की उम्र में अरबी और फारसी की पढ़ाई
पुलिस के अनुसार, अपने पिता का अपमान सहन न कर पाने की वजह से ज़ीशान 2019 में अपराध की दुनिया में दाखिल हुआ. इस दौरान उसकी मुलाकात सोशल मीडिया के जरिए विक्रम बराड़ से हुई. विक्रम बराड़ के निर्देश पर ज़ीशान ने तरनतारन में पहली हत्या की. 9 साल की उम्र में इस अपराधी ने महाराष्ट्र के बीड जिले में स्थित एक मदरसे में डेढ़ साल तक अरबी, फारसी और उर्दू की पढ़ाई की थी. इसके बाद वह उत्तर प्रदेश के बिजनौर स्थित मदरसे में पढ़ने के लिए गया. डेढ़ साल वहां रहने के बाद वह वापस गांव आ गया और छठी कक्षा में दाखिला लिया. इसके बाद उसने 10वीं कक्षा तक पढ़ाई की और फिर अपने पिता के साथ टाइल का काम करने लगा.
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