पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद। गरियाबंद के गोहरापदर छैलडोंगरी में क्वांर पक्ष लगने से पहले पड़ने वाले मंगलवार को देव दशहरा मनाने का अनूठा धार्मिक रिवाज है. यहां माता काली की पूजा-अर्चना करने का रिवाज है. इस बार भी यह पर्व बड़े धूम धाम से मनाया गया. मनोकामना पूरी होने वाले हजारों श्रद्धालु जुटे थे.
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इस पूरी पूजन प्रकिया और दशहरा स्थल पर महिलाओं को शामिल होना वर्जित है. दरअसल, इलाके के 7 पाली में आने वाले गांव में तीन पीढ़ी पहले आपदा आया था, अचानक बहू-बेटी बीमार पड़ जाती थीं, और उनकी मौत हो रही थी. बुजुर्गों ने इसकी पड़ताल किया तो पता चला कि मां काली को किसी ने छोड़ दिया है, जो पलना गोसीएन नाम से है.

मां काली की इस स्वरूप को अखरा कुंभ तिथि यानी क्वांर से पहले पड़ने वाले मंगलवार को पूजन कर शांत करने का हल निकाला गया. पहले सात पाली में आने वाले 11 गांव के लोग ही पूजन करते थे. पर माता के सामने मांगी गई मनोकामना पूरी होते देख दिनों दिन श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने लगी.
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