नई दिल्ली। पत्रकारिता के क्षेत्र में ऑस्कर या नोबल पुरस्कार की तरह प्रतिष्ठित पुलित्जर पुरस्कार की सोमवार को घोषणा की गई. इस बार यह पुरस्कार तीन भारतीय फोटोग्राफरों को मिला है. न केवल भारत बल्कि दक्षिण एशिया में यह प्रतिष्ठित पुरस्कार पाने वाले तीनों ही फोटोग्राफर जम्मू-कश्मीर से हैं.

पुलित्जर पुरस्कार पाने वालों में चन्नी आनंद, मुख्तार खान और यासिन डार शामिल हैं. इन तीनों ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अधिनियम 370 के समाप्त होने के बाद की स्थिति को कैमरे में कैद किया था. न केवल भारत बल्कि पूरे दक्षिण एशिया में पहले पुलित्जर पुरस्कार विजेता होने की खुशी से फूले नहीं समा रहे 50 वर्षीय चुन्नी आनंद बताते हैं कि फोटोग्राफी के शुरुआती दिनों में उन्होंने वर्ल्ड प्रेस कॉम्पिटिशन में सालों तक हिस्सा लिया था, लेकिन बाद में भाग लेना छोड़ दिया, क्योंकि लगा कि भारतीय फोटोग्राफरों को इस फोरम में पहचान नहीं मिलती है.

स्टेट टाइम से करियर की शुरुआत करने वाले चुन्नी ने अमर उजारा, इंडिया टुडे और द विक के लिए काम करने के बाद एसोसिएट प्रेस (एपी) से जुड़ गए. 16 सालों तक स्टींगर रहने के बाद चार साल पहले उन्हें स्टाफर नियुक्त किया गया. चुन्नी ने अनेको आतंकवादी हमले कवर किए हैं, इसके अलावा भारत-पाक के बीच होने वाली शेलिंग को भी कवर किया है.

चुन्नी कहते हैं कि पुलिज्तर पुरस्कार मिलना उनके लिए किसी अचम्भे से कम नहीं है, वे शॉक है. वे कहते हैं कि यह पुरस्कार उनके साथ-साथ उनके परिवार वालों, जम्मू-कश्मीर के लोगों और मीडिया से जुड़े लोगों के लिए सम्मान की बात है. इस पुरस्कार से मेरी 23 साल की तपस्या को पहचान मिली है.