NSA on Raj Thackeray: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रमुख राज ठाकरे पर NSA लगाने की मांग की गई है। बॉम्बे हाई कोर्ट के तीन वरिष्ठ वकीलों मनसे नेता के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए महाराष्ट्र डीजीपी (Maharashtra DGP) को चिट्ठी लिखकर शिकायत की है और राज ठाकरे के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की है। तीनों वकीलों ने चिट्ठी में लिखा है कि राज ठाकरे के हालिया बयानों ने गैर-मराठी लोगों के खिलाफ हिंसा और नफरत का माहौल बना दिया है। गैर-मराठी लोगों के साथ लगातार मारपीट की शिकायत सामने आ रही है। भाषाई आधार पर हमला करना संविधान का उल्लंघन है। लिहाजा राज ठाकरे पर NSA लगाकार कार्रवाई की जाए।

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वकीलों का कहना है कि मराठी महाराष्ट्र की प्रादेशिक भाषा है और सभी भारतीय नागरिकों का यह कर्तव्य है कि वे मराठी भाषा का सम्मान करें। हालांकि बीते कुछ दिनों में एमएनएस कार्यकर्ताओं द्वारा अन्य राज्यों के नागरिकों पर भाषा को लेकर की गई मारपीट, अपमान और हिंसा की घटनाएं सामने आई हैं, जो गंभीर और असंवैधानिक स्थिति पैदा करती हैं।

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वकीलों ने राज ठाकरे के बयानों को  धारा 123 (45) – जाति, धर्म, भाषा के आधार पर वैमनस्य फैलाने, धारा 124 – देश की एकता पर हमला करने, धारा 232 – आतंक फैलाने, धारा 345(2) – जानबूझकर वैमनस्य फैलाने, धारा 357 – सार्वजनिक दहशत फैलाने और  NSA के तहत कार्रवाई की मांग की है।

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शिकायत में वकीलों ने क्या लिखा है-

शिकायत में कहा गया है कि, 5 जुलाई को मुंबई के वर्ली में एक कार्यक्रम के दौरान राज ठाकरे ने कथित तौर पर कहा कि “जो भी हमसे गलत भाषा में बात करेगा उसे एक मिनट में चुप करा देंगे। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि “ऐसी घटनाओं को वीडियो कार्ड से न शूट किया जाए। वकीलों का आरोप है कि यह बयान कानून-व्यवस्था के नजरिए से खतरनाक है और संविधान के कई अनुच्छेदों का उल्लंघन करता है।

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वकीलों ने राज ठाकरे के बयानों को आईपीसी के अनुच्छेद 14 – कानून के समक्ष समानता, अनुच्छेद 19(1)(a) – विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, अनुच्छेद 19(1)(d) और (e) – भारत में कहीं भी आने-जाने और बसने की स्वतंत्रता, अनुच्छेद 21 – जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार, अनुच्छेद 29 – अल्पसंख्यकों के हितों की सुरक्षा जैसे अनुच्छेदों का उल्लंघन बताया है।

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राज ठाकरे के बयानों के बाद तनाव का माहौल!

शिकायतकर्ताओं के मुताबिक, राज ठाकरे के भाषण के बाद एमएनएस कार्यकर्ताओं ने आक्रामक रवैया अपनाते हुए अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं पर हमले किए और उनके कार्यालयों में तोड़फोड़ की। विभिन्न जगहों पर इन घटनाओं को लेकर एफआईआर भी दर्ज की गई हैं। वकीलों ने आरोप लगाया है कि “मराठी भाषा” के नाम पर हो रहे ये हमले राजनीतिक नफरत को बढ़ावा दे रहे हैं। यह बात स्पष्ट है कि राज्य में भाषाई आधार पर हिंसा फैलाकर सांप्रदायिक और क्षेत्रीय विभाजन किया जा रहा है, जो समाज के ताने-बाने के लिए खतरा है।

वकीलों का कहना है कि सरकार की यह पहली जिम्मेदारी है कि वह राज्य में अराजकता और नफरत फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाकर कानून-व्यवस्था बनाए रखे और यह सुनिश्चित करे कि किसी भी हालात में मराठी भाषी या मुस्लिम समुदाय को जाति, धर्म या भाषा के आधार पर नुकसान न हो।

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