लखनऊ. देश में आज से तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं. कानून की यह संहिताएं भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), भारतीय न्याय संहिता (BNS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) हैं. उत्तर प्रदेश में इस नए कानून के तहत पहली एफआईआर दर्ज हो गई है. अधिकारियों के मुताबिक प्रदेश की पहली एफआईआर सुबह 9.51 बजे अमरोहा में दर्ज हुई.

अमरोहा भी बरेली जोन की मुरादाबाद रेंज का जिला है. बरेली में 10.17 बजे बारादरी थाने में जो एफआईआर हुई वह जिले में पहली और प्रदेश में दूसरी है. प्रदेश की तीसरी एफआईआर सुबह 10.44 बजे आगरा जिले में दर्ज की गई है. बरेली के पीलीभीत में एक युवक का बच्चा गायब हो गया है. मामला बारादरी थाना क्षेत्र का है. यहां सुशील कुमार ने 28 जून को अपने बच्चे को अस्पताल में भर्ती कराया था, लेकिन एक जून को उसे सूचित किया गया कि बच्चा गायब हो चुका है. इसके बाद पीड़ित ने शिकायत दर्ज कराई है.

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सुशील कुमार सुनगडी के रहने वाले हैं और उनका गांव गौटिया थाना क्षेत्र में आता है. जनपद पंचायत पीलीभीत है. पीड़ित ने 28 जून को सुबह नौ बजे अपने एक माह के बच्चे को अस्पताल में भर्ती कराया था. बरेली में अपोलो अस्पताल दोहरा रोड में है. अस्पताल से गायब हुए बच्चे का नाम इंद्रजीत है. अपोलो अस्पताल की तरफ से बच्चे के गायब होने की जानकारी परिजन को एक जुलाई (सोमवार) को सुबह छह बजे दी गई. बरेली पुलिस ने तीन नए आपराधिक कानूनों के तहत मामला दर्ज कर लिया है. इस मामले की जांच सब इंसप्केटर विपिन कुमार को सौंपी गई है.

गवाहों के बयानों का होगा वीडियो रिकॉर्ड

नए कानून में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों के लिए सख्त कानून बनाए गए हैं. ऐसे में एक महीने के बच्चे की चोरी करने वाले के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकेगी. अब सबूतों को लेकर भी बदलाव किया गया है और डिजिटल सबूतों पर जोर दिया गया है. ऐसे में पुलिस अस्पताल के सीसीटीवी फुटेज के अलावा एंट्री के रजिस्टर के जरिए भी छानबीन आगे बढ़ सकती है और दोषी के खिलाफ सबूत इकट्ठे कर सकती है. नए कानून के तहत सभी गवाहों के बयानों का वीडियो रिकॉर्ड किया जाएगा.

बदल गए न्याय संहिताओं के नाम

  • इंडियन पीनल कोड (IPC) अब हुई भारतीय न्याय संहिता (BNS)
  • कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर (CrPC) अब हुआ भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS)
  • इंडियन एविडेंस एक्ट (IEA) अब हुआ भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA)

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में हुए अहम बदलाव

  • भारतीय दंड संहिता (CrPC) में 484 धाराएं थीं, जबकि  भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं हैं. इसमें इलेक्ट्रॉनिक तरीके से ऑडियो-वीडियो के जरिए साक्ष्य जुटाने को अहमियत दी गई है. 
  • नए कानून में किसी भी अपराध के लिए अधिकतम सजा काट चुके कैदियों को प्राइवेट बॉन्ड पर रिहा करने की व्यवस्था है.
  • कोई भी नागरिक अपराध होने पर किसी भी थाने में जीरो एफआईआर दर्ज करा सकेगा. इसे 15 दिन के अंदर मूल जूरिडिक्शन, यानी जहां अपराध हुआ है, वाले क्षेत्र में भेजना होगा.
  • सरकारी अधिकारी या पुलिस अधिकारी के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए संबंधित अथॉरिटी 120 दिनों के अंदर अनुमति देगी. यदि इजाजत नहीं दी गई तो उसे भी सेक्शन माना जाएगा.
  • एफआईआर दर्ज होने के 90 दिनों के अंदर आरोप पत्र दायर करना जरूरी होगा. चार्जशीट दाखिल होने के बाद 60 दिन के अंदर अदालत को आरोप तय करने होंगे. 
  • केस की सुनवाई पूरी होने के 30 दिन के अंदर अदालत को फैसला देना होगा. इसके बाद सात दिनों में फैसले की कॉपी उपलब्ध करानी होगी.
  • हिरासत में लिए गए व्यक्ति के बारे में पुलिस को उसके परिवार को ऑनलाइन, ऑफलाइन सूचना देने के साथ-साथ लिखित जानकारी भी देनी होगी.
  • महिलाओं के मामलों में पुलिस को थाने में यदि कोई महिला सिपाही है तो उसकी मौजूदगी में पीड़ित महिला का बयान दर्ज करना होगा.   

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