स्मार्टफोन आज लोगों की जिंदगी का अहम हिस्सा हो गया है. स्मार्टफोन के बिना लोगों का जीना मुश्किल हो गया है. स्मार्टफोन को आज लोग किसी भी कीमत पर अपने से दूर नहीं करना चाहते हैं. अब यह बात एक ताजा सर्वे में भी साबित हो गया है. हाल ही में ओप्पो और काउंटरप्वाइंट ने स्मार्टफोन की लत को लेकर एक सर्वे किया था. इस सर्वे को ‘NoMoPhobia’ नाम दिया गया था.

‘NoMoPhobia’ क्या है?

सर्वे के मुताबिक इस बात को साफ किया गया है कि 65 फीसदी यूजर्स अपने स्मार्टफोन से भावनात्मक रूप से जुड़े हुए हैं. आपने अकसर देखा होगा कि लोगों को अपने फोन से दूर जाने का डर लगता है. इसमें इंटरनेट ख्तम होने का डर से लेकर के फोन खो ना जाए और बैटरी खत्म ना हो जाए. इसी बात का डर सताता है. ‘NoMoPhobia’ इस नाम के अंत में फोबिया (Phobia) शब्द का जिक्र किया गया है. जिस से ये साफ होता है कि ये एक तरह का (Phobia) है.

बैट्री कम होने पर तनाव में आ जाते हैं लोग

हालांकि, कई लोगों को फोन नहीं होने पर डर सताता है. यही कारण है कि लोग बैट्री कम होने या फोन का प्रयोग नहीं कर पाने पर तनाव में आ जाते हैं. उन्होंने कहा कि बैट्री कम होने की च‍िंता 25 से 30 आयुवर्ग की अपेक्षा कामकाजी 31 से 40 आयुवर्ग के लोगों में अधिक होती है.

इस स्टडी में ये पाया गया कि 47% लोग ऐसे हैं जो अपने स्मार्टफोन को दिनभर में दो बार चार्ज करते हैं और करीब 87% लोग ऐसे हैं जो मोबाइल फोन को चार्ज करने के दौरान इसमें लिप्त रहते हैं. यानि यूज करते रहते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, स्मार्टफोन की बैटरी कम होने पर 74 फीसदी महिलाएं चिंतित रहती हैं जबकि पुरुषों में ये आकड़ा 82 फीसदी है. रिपोर्ट में ये भी पता लगा कि करीब 60% लोग ऐसे हैं जो बैटरी परफॉरमेंस अच्छी न होने पर अपना फोन बदल लेते हैं. साथ ही 92.5 प्रतिशत लोग बैटरी को लंबे समय तक चलाने के लिए अपने फोन पर पावर-सेविंग मोड को ऑन रखते हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि 40 प्रतिशत लोग अपने फोन का इस्तेमाल दिन में पहली और आखिरी चीज के रूप में करते हैं.