बस्तर। त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव के लिए नामांकन फॉर्म भरने के आज आखिरी दिन प्रत्याशियों ने अपने-अपने समर्थकों के साथ रिटर्निंग कार्यालय पहुंचे और नामांकन जमा किया। इस बीच बस्तर के बकावंड ब्लॉक का छोटा सा गांव बारदा सुर्खियों में है। दरअसल, यहां सरपंच और पंच पद के लिए एक भी प्रत्याशी ने विरोध में नामांकन दाखिल नहीं किया, जिससे पूरा पैनल निर्विरोध चुना गया। यह महज एक संयोग नहीं, बल्कि गांववालों की एकता और पिछले विकास कार्यों की वजह से लिया गया सामूहिक फैसला था।

कैसे हुई निर्विरोध जीत?

बता दें कि ग्रामवासियों ने चुनाव से पहले एक बैठक बुलाई, जिसमें सभी जाति-वर्ग के लोगों ने हिस्सा लिया। बैठक में सर्वसम्मति से तय किया गया कि पूर्व सरपंच कमल मौर्य के कार्यकाल की सफलता को देखते हुए उनके परिवार से ही नया नेतृत्व चुना जाए। इसलिए ग्रामीणों ने तिलोत्तमा मौर्य (कमल मौर्य की भाभी) को अगली सरपंच बनाने का फैसला लिया।

कमल मौर्य का विकास मॉडल बना जीत की कुंजी

गौरतलब है कि कमल मौर्य के कार्यकाल में गांव में सड़कें, जल आपूर्ति, शिक्षा और कृषि से जुड़े कई विकास कार्य हुए, जिससे जनता में संतोष और विश्वास पैदा हुआ। ग्रामीणों ने इसी विकास की निरंतरता के लिए परिवार से ही नेतृत्व बनाए रखने का निर्णय लिया।

मार्गदर्शक मंडल का किया गया गठन

बारदा गांव का यह निर्णय लोकतंत्र की नई मिसाल है, जहां जनता ने विरोध की बजाय सहमति और एकता को चुना। साथ ही, गांव में एक मार्गदर्शक मंडल भी बनाया गया, जिसमें सभी जाति-वर्ग के लोगों को शामिल किया गया है, ताकि सभी की राय का सम्मान हो और विकास कार्य बिना किसी भेदभाव के आगे बढ़ें।

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