रायपुर। पहले इंटरनेट फिर मोबाइल के आने से ठगों की पौ बाहर हो गई है. आए दिन ऑन लाइन ठगी के नए तरीके निकालकर न केवल मासूम बल्कि पढ़े-लिखे टेक फ्रेंडली लोगों को भी अपना शिकार बना रहे हैं. ठग कितने सयाने हो चुके हैं, इसका अंदाजा इस बात से चल जाता है कि मोबाइल एप डाउनलोड कराकर या फिर लिंक वाला मैसेज भेजकर मोबाइल हैक कर बैंक खाते के पैसे उड़ा रहे हैं.
राजधानी के पुरानी बस्ती इलाके में हाल ही में दो घटनाएं सामने आई हैं, जिसमें ठगों ने मोबाइल हैक कर मोबाइल धारक के बैंक खाते से पैसे उड़ा लिए. इसके लिए ठगों ने फिशिंग का इस्तेमाल किया, जिसमें हैकर बैंकिंग कंपनी, सर्विस प्रोवाइडर, वेबसाइट या कंपनी का हू-ब-हू फर्जी वेबसाइट या सॉफ्टेवयर बनाकर और मोबाइल में लिंक भेजकर मोबाइल एप डाउनलोड करवाकर हजारों रुपए का चूना लगाया. ये वे मामले हैं, जिनमें मोबाइल धारकों को ठगी का पता चल गया. बहुत से मामलों में मोबाइल धारकों को ठगे जाने का अहसास ही नहीं होता और ठग खाते से पैसा निकाल लेता है.
ऐसे ही एक मामले में आटोमोबाइल कंपनी में कार्यरत प्रफुल्ल कलसकर को ऑनलाइन पेमेंट एप के केवायसी के नाम पर प्ले स्टोर से मोबाइल एप डाउनलोड करने कहा गया. उन्होंने मोबाइल एप डाउनलोड करते ही उनका मोबाइल हैक हो गया. ठग ने पलक झपकते ही उनके खाते से करीब 40 हजार रुपए पार कर लिया. इसी तरह ऑनलाइन फूड कंपनी के कस्टमर केयर नंबर सर्च करने के बाद हरि कुमार ने कॉल किया. दूसरी ओर से एक लिंक भेजा गया, जिसे क्लिक करते ही उनका मोबाइल हैक हो गया. हैकर ने मोबाइल से बैंक खाते की जानकारी हासिल कर उनके खाते ने 31 हजार पार कर दिया.
साइबर एक्सपर्ट मोनाली गुहा ने इस तरह की घटनाओं से मोबाइल धारकों को सतर्क करते हुए कहा कि मोबाइल में किसी भी व्यक्ति को फोन संबंधित जानकारी न दें. ऑनलाइन बैंकिंग लेन-देन के दौरान ओटीपी नंबर किसी को न बताएं. अननोन लिंक मिलने पर उसमें क्लिक न करें. इसके अलावा फिशिंग से बचने के लिए मोबाइल व कंप्यूटर में एंटीवायरस ताजातरीन अपडेट के साथ इस्तेमाल करें.