लखनऊ. कोडीन सिरप के अवैध डायवर्जन, भंडारण और अवैध खरीद फरोख्त के मामले में रोज कुछ न कुछ नया खुलासा सामने आ रहा है. राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय है कि कोडीन सिरप मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपी गई रिपोर्ट में उन्हें कुछ दिख गया है जिसकी वजह से उन्होंने विधानसभा के शीत सत्र के पहले दिन सीधे-सीधे अखिलेश यादव पर हमला बोला. यह रिपोर्ट विधानसभा में भी रखे जाने की संभावना जताई जा रही है. राजनीतिक गलियारों में इस बात पर आशंका भी जताई जा रही है कि सदन में कोडीन सिरप को लेकर मुख्यमंत्री को सौंपी रिपोर्ट में जरूर ऐसे तथ्य शामिल हैं जो समाजवादी पार्टी के लिए किसी वज्रपात से कम नहीं होंगे. हालांकि रिपोर्ट में समाजवादी पार्टी को परेशान करने वाले वो तथ्य क्या हैं- इसकी भनक मुख्यमंत्री के अलावा किसी को भी नहीं. अफसर भी पूरी तरह से अंजान हैं.

इस बारे में हमने खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन (FSDA) के उच्च पदस्थ सूत्रों से बात करने की कोशिश की, लेकिन कोई भी अफसर साफ-साफ बात करने को तैयार नहीं हुआ. हालांकि नाम न छापने की शर्त पर सूत्रों से यह जरूर पता चला कि कोडीन मामले में आरंभिक जांच को लेकर मुख्यमंत्री को सौंपी गई रिपोर्ट और दूसरी तमाम एजेंसियों की जांच से छन छनकर जो चीजें निकल रही हैं- वो बेहद चौंकाने वाली हैं. इसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि कोडीन सिरप से जुड़ा मामला वैसा बिल्कुल नहीं है, जैसा अबतक दिखाया और बताया जा रहा था. बल्कि यह मामला उससे भी ज्यादा गंभीर है और इसमें कई बड़ी मछलियां और अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क शामिल हैं.

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सूत्रों के मुताबिक बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार का तख्तापलट, बांग्लादेश की जल-थल सीमा पर केन्द्रीय एजेंसियों की निगरानी और उत्तर प्रदेश में नेपाल की सीमा से सटे मदरसों पर यूपी सरकार की कार्रवाई नहीं होती- तो कोडीन सिरप का अवैध डायवर्जन इतना फूलप्रूफ था कि मामला शायद ही खुल पाता. डायवर्जन का यह पूरा मामला “हलाल नेटवर्क” के जरिए ऑपरेट होता था। इस पूरे अवैध कारोबार का सिंडीकेट अंतराज्यीय और अंतर्राष्ट्रीय है. सिंडीकेट दिल्ली और उससे सटे राज्यों हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश से ऑपरेट होता था. यूपी में सिंडीकेट का केंद्र पश्चिम उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद, मेरठ, सहारनपुर और बरेली जैसे शहर थे. सिर्फ तस्करी की भौगोलिक सुविधा के चलते उत्तर प्रदेश अवैध कारोबार का केंद्र बना.

बच्चों के लिए प्रतिबंधित है कोडीनयुक्त सिरप

कोडीनयुक्त सिरप बच्चों के लिए प्रतिबंधित है. बच्चों को कोडीनयुक्त सिरप देने का कोई मामला भी यूपी में सामने नहीं आया है. यह वयस्कों के लिए और वह भी सिर्फ चिकित्सकीय परामर्श पर दी जाने वाली सिरप है. अभी हाल ही में मध्यप्रदेश में तमिलनाडु में बनी कोल्ड्रिफ सिरप से पर बच्चों की मौत का मामला सामने आया तो यूपी में भी बड़े पैमाने का अभियान शुरू किया गया. इसी अभियान की वजह से कफ सिरप के अवैध डायवर्जन और भंडारण के खेल का भंडाफोड़ हुआ. सूत्रों के मुताबिक 2016-17 में विभोर राणा (सहारनपुर) को यूपी सरकार से लाइसेंस मिला था. विभोर राणा को एसटीएफ ने अवैध डायवर्जन के मामले में गिरफ्तार किया है। सौरभ त्यागी, पप्पन यादव और शादाब (गाजियाबाद) पश्चिम के बड़े कारोबारी थे. पश्चिम का यह सिंडीकेट यूपी की विपक्षी पार्टी से जुड़ा बताया जा रहा है. कई लोग तो इन आरोपियों का अतीत और तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा कर रहे हैं.

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सूत्रों से पता चला है कि अवैध डायवर्जन का ये मामला बहुत पुराना है. पूरा कारोबार पश्चिम यूपी के हलाल नेटवर्क के रास्ते होता था. लेकिन पहले बांग्लादेश में सरकार बदलने के बाद सख्ती की वजह से पश्चिम बंगाल के रास्ते तस्करी बंद हो गई. तस्करी का एक दूसरा रास्ता झारखंड भी था. झारखंड के रास्ते शुभम जायसवाल की सैली ट्रेडर्स के जरिए तस्करी की जाती थी. तस्करी का एक तीसरा रास्ता नेपाल की सीमा से लगे यूपी के इलाके थे. मगर अभी हाल ही में अवैध मदरसों, छांगुर के धर्मांतरण सिंडीकेट पर एक्शन की वजह से तीसरा रास्ता भी बंद हो गया. सूत्रों ने मुख्यमंत्री को सौंपी गई रिपोर्ट में बांग्लादेश तक तस्करी की बात को कबूल भी किया है. इसमें बहराइच, लखीमपुर खीरी और लखनऊ का भी जिक्र आता है जो नेपाल के रास्ते तस्करी के लिए इस्तेमाल होते थे.

हलाल नेटवर्क के जरिए तस्करी, हवाला से पैसा

जांच एजेंसियों के सूत्रों ने दावा किया कि कफ सिरप की तस्करी पूरी तरह से एशिया, अरब और अफ्रीका के मुस्लिम देश में की जाती थी. इस्लाम में शराब हराम होने की वजह से कफ सिरप को शराब के विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जाता था. तस्करी के लिए हलाल नेटवर्क का इस्तेमाल होता था और हवाला नेटवर्क के जरिए बड़ी मछलियों को उनका कट पहुंचाया जाता था. मेरठ के आसिफ और वारिस जिनका नाम मामले में बार बार सामने आ रहा है- तस्करी के लिए हलाल नेटवर्क की ट्रैकिंग करते थे. शुभम जायसवाल की तरह आसिफ और वारिस भी अरब के किसी देश में छिपे बताए जा रहे हैं. अब तक इस मामले की भनक किसी को इसलिए नहीं हो पाई थी कि हिमाचल प्रदेश में बनी कफ सिरप का अवैध डायवर्जन हलाल नेटवर्क के जरिए नेपाल से लगे यूपी के सीमावर्ती इलाकों, झारखंड और पश्चिम बंगाल से हो जाया करती थी. लेकिन यूपी में हलाल नेटवर्क के निष्क्रिय होने की वजह से माल डंप होने लगा.

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अब तक की जांच में यह सामने भी आ चुका है कि पश्चिम के एक बड़े कारोबारी ने करीब 100 करोड़ मूल्य की सिरप नहीं खपा पाने की वजह से हिमाचल प्रदेश में मौजूद संबंधित सिरप कंपनी से माल वापस लेने को कहा. बाद में यही माल शुभम जायसवाल को भेजा गया. माल का एक बड़ा हिस्सा शुभम जायसवाल के करीबी मनोज यादव (वाराणसी) के गोदाम में रखा गया था जिसे हाल ही में जब्त किया गया है. मामला पूरा अवैध डायवर्जन का है. लेकिन तस्करी के रास्ते बंद होने के बाद यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र जैसे राज्यों के मुस्लिम बहुल इलाकों में सिरप खपाने के नए बाजार तलाशने की कोशिशें हुई. इस मामले में पंजाब का भी कनेक्शन निकलकर सामने आया है. बड़े आरोपियों में कानपुर के राहुल अग्रवाल भी हैं. राहुल अग्रवाल का संबंध पंजाब के अंतरराष्ट्रीय ड्रग कारोबारियों से बताया जा रहा. राहुल अग्रवाल की बेटी वर्तिका अग्रवाल इस वक्त अवैध ड्रग के मामले में पंजाब की एक जेल में बंद बताई जा रही है.

कोडीन के खेल के पीछे राजनीति या कुछ और

मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत के बाद जांच में सारा नेटवर्क नंगा हो रहा। सूत्रों का दावा तो यह भी है कि यूपी में कोडीन को लेकर जिस तरह की राजनीति हुई उससे समाजवादी पार्टी के लोगों को सबसे बड़ा लाभ मिला. समाजवादी पार्टी के अलावा तमिलनाडु में डीएमके को भी राजनीतिक लाभ मिला. वहां सिरप से बच्चों की मौत का मामला अगले विधानसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा बन सकता था. पश्चिम बंगाल, पंजाब, हिमाचल और झारखंड की सरकारों पर सवाल भी उठ सकता था. लेकिन यूपी में विपक्ष की राजनीति ने कहानी का सिरा बदल दिया. अगर यूपी से जोड़कर विपक्ष की तरफ से कहानियां नहीं गढ़ी जातीं तो कफ सिरप के मामले पर तमिलनाडु में सियासी भूचाल आ जाता और हिमाचल की कांग्रेस सरकार पर भी आंच होती. लेकिन विपक्ष के लिए अब खेल उलटा दिख रहा है.

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विधानसभा के शीत सत्र की शुरुआत के पहले दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोडीन सिरप के मामले में सीधे समाजवादी पार्टी की संलिप्तता को लेकर आरोप लगाए. आरोपों में कई सवाल पूछे गए। जवाब में अखिलेश यादव अबतक कोई तर्क प्रस्तुत नहीं कर पाए. उल्टे कोडीन सिरप के मामले में अबतक समाजवादी पार्टी जिस तरह कुछ आरोपियों के सरनेम और अलग अलग लोगों के साथ उनकी तस्वीरों के बहाने सरकार पर हमलावर थी- अखिलेश ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में खुद ही उसका पटाक्षेप कर दिया. आरोपियों के साथ अपनी फ़ोटो पर सफाई देते हुए अखिलेश ने कहा था कि फोटो में किसी के साथ होने का मतलब यह नहीं है कि संबंधित व्यक्ति के साथ मेरे रिश्ते भी हों. अखिलेश की यह सफाई- दूसरे लोगों पर भी लागू होती है. अब इस मामले में अखिलेश खुद सवालों के घेरे में हैं. कई आरोपियों के साथ अखिलेश की तस्वीरें सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन चुकी हैं.

यूपी में अबतक का सबसे बड़ा क्रैकडाउन

कोडीन मामले में अबतक उत्तर प्रदेश के 33 जिलों में 140 फार्मों और संबंधित संचालकों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. जांच और कार्रवाई लगातार जारी है. यह देश में अबतक का सबसे बड़ा क्रैकडाउन है. उत्तर प्रदेश के अलावा किसी और राज्य में इस तरह की कार्रवाई नहीं दिखी. तमिलनाडु, हिमाचल, झारखंड और पश्चिम बंगाल को लेकर कई सवालों के जवाब आना बाकी हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिस जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए सपा पर सीधे हमला किया था- ऐसा लग रहा कि वह रिपोर्ट विपक्ष के लिए मुसीबत भी बन सकती है. यह मुद्दा समाजवादी पार्टी ने खड़ा किया था- अब सपा खुद सवालों के घेरे में है.