रायपुर. टिकट को लेकर कांग्रेस के अंदर का कन्फ्यूज़न उस वक्त बाहर आ गया जब स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष भूवनेश्वर कलिता ने टिकट में लेकर एक के बाद एक तीन अलग-अलग बयान दिए. जिससे जा़हिर हो गया कि कांग्रेस टिकट को लेकर फैसला नहीं कर पा रही.

भुवनेश्वर कलिता आज रायपुर में आए. वे टिकटों को लेकर अलग-अलग बैठकें ले रहे हैं. एयरपोर्ट पर कलिता ने कहा कि उन्हें चुनाव समिति ने उन्हें उम्मीदवारों की लिस्ट नहीं दी है. जैसे ही समिति लिस्ट देगी. स्क्रीनिंग कमेटी एक हफ्ते में लिस्ट फाइनल कर देगी. जबकि इसके बाद लल्लूराम डॉट कॉम से चर्चा में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल ने साफ कर दिया कि लिस्ट स्क्रीनिंग कमेटी को सौंप दी गई है. उसके बिना स्क्रीनिंग कमेटी काम नहीं करती.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रविंद्र चौबे ने इस बात को स्वीकार किया है कि टिकट के बंटवारे में वक्त ज़्यादा लग गया. उन्होंने राजीव भवन में मीडिया से बात में इसका कारण टिकट चयन प्रक्रिया को बताया. उन्होंने कहा कि बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं से फीड लेने और ब्ल़ॉक कांग्रेस से फीड लेने में वक्त लग गया.

लेकिन दिलचस्प बात ये रही कि कलिता के कांग्रेस भवन आते-आते दो बयान और आ गए. ये बयान बड़े बेतुके थे. कलिता से पत्रकारों ने पूछा कि राहुल गांधी ने जनता के सामने 15 अगस्त तक करीब 90 फीसदी टिकटें फाइनल करने का पीसीसी को निर्देश दिया था. लेकिन 15 अगस्त को एक महीने बीत गए हैं. उसके बाद भी कांग्रेस एक भी टिकट फाइनल नहीं कर पाई है.

इस पर कलिता ने कहा कि क्या चुनाव आयोग ने चुनाव की घोषणा की है? जो कांग्रेस प्रत्याशियों की घोषणा कर दे. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को चुनाव से तीन महीने पहले चुनाव की तारीखों की घोषणा करनी चाहिए. इसके बाद अगले सवाल पर कलिता जी फिर पलट गए. उन्होंने अबकी बार ठीकरा बीजेपी पर फोड़ा. उन्होंने कहा कि बीजेपी को पहले उम्मीदवारों की घोषणा करे क्योंकि वो सत्ताधारी पार्टी है. वे अपने विधायकों के नाम भी घोषित नहीं कर पाई है. पहले वो करेंगे फिर कांग्रेस करेगी.

उनके तीनबयान सुनकर कांग्रेस के दूसरे नेताओं का भी माथा घुम गया. ज़ाहिर है कि ये कांग्रेस के अंदर उठ रहे सवाल हैं. जिसके बाद ये परिस्थियां निर्मित हुई हैं. अंदरखाने की ख़बरों के मुताबिक कांग्रेस के नेताओं को ये भय सता रहा है कि अगर उम्मीदवार पहले घोषित कर दिए गए तो कई लोग विरोध में पार्टी के लिए गड्ढा खोदने का काम शुरु कर देंगे. इसके अलावा प्रत्याशी को त्यौहारों में ज़्यादा खर्च करना पड़ेगा. जिससे उसकी मुश्किलें बढ़ जाएंगी. जबकि कुछ लोग राहुल गांधी के कहे के मुताबिक अभी टिकटों का ऐलान चाहते हैं. ताकि प्रत्याशियों को तैयारी और गड्ढे पाटने का पर्याप्त मौका मिले.