गरियाबंद. 1840 स्क्वेयर किलोमीटर एरिया में फैले उदंती सीता नदी अभ्यारण्य में बाघ के अनुकूल वातावरण बनाने में दो साल लग गए, तब जाकर यहां नए मेहमान के रूप में नर बाघ की वापसी हुई जिसकी उम्र 4 से 5 साल की बताई जा रही है. एन टी सी ए के पास इस बाघ का डेटा बेस भी मौजूद नहीं है. धारियों के मिलान की कोशिश में भी बाघ किस रूट से पहुंचा उसकी जानकारी उपलब्ध नहीं है. नए युवा सदस्य की यकायक एंट्री से अब इसे पूर्ण रूप से सुरक्षित करने वन अमला दिन रात जुटा हुआ है. बाघ के भ्रमण इलाके में ट्रैप कैमरे की संख्या बढ़ा कर नजर रखी जा रही है.


उदंती अभ्यारण्य के उपनिदेशक वरुण जैन ने कहा कि वन्य प्राणियों के रहवास ठिकाने सुरक्षित रहेंगे तो वो मानवों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे. अभ्यारण्य में मौजूद 125 गांव के लगभग 40 हजार आबादी की सुरक्षा भी हमारी अहम जिम्मेदारी वन्य जीव मानव द्वंद को रोक दोनों को सुरक्षित करने जितने प्रयास और प्रयोग करने चाहिए वह सभी उपाय हम यहां कर रहे हैं. बाघ की सुरक्षा के लिए स्पेशल निगरानी टीम और तकनीकी का सहारा भी ले रहे हैं.
दो साल लगे वातावरण तैयार करने में
उदंती सीता नदी अभ्यारण में 2019 के बाद 2021 में बाघ की चलकदमी देखी गई थी,उसके बाद बाघ मूड कर नहीं आया. रिकॉर्ड के मुताबिक 3 जनवरी 2023 से अभ्यारण्य प्रशाशन ने कोर जोन में काबिज लोगों को खदेड़ने का अभियान शुरू किया. दो साल में 8 स्थानों से 700 हेक्टेयर वन भूमि पर काबिज 300से ज्यादा अतिक्रमण कारियो को बेदखल किया. वन अमला का मानना था कि छोटे वन्य प्राणियों का शिकार भी यही कब्जा धारी करते थे. बेदखली के साथ साथ जंबो एंटीपोचिंग टिम ने 50 से ज्यादा घरेलू और अंतराज्यी तस्करों को दबोच सलाखों के पीछे भेजा.
3 बाघ और 7 तेंदुए के खाल समेत पैंगोलिन और अन्य वन्य प्राणियों के दर्जनों अवशेष जप्त किया. अभ्यारण में अमन लाने के अभियान में कई कानूनी दिक्कतों का भी उपनिदेशक ने अपने टिम के साथ पुरजोर सामना किया. अमन वापसी के अभियान में काटे गए वनों के सुधार के लिए हजारों पौधा लगाए,1000 से ज्यादा तालाब व जल स्रोतों को उपयोग लायक बनाया, ग्रास लैंड विकसित कराया, इससे चीतल सांभर जैसे छोटे जानवर की बढ़ोतरी तेजी से हुई. माकूल वातावरण और पर्याप्त शिकार के बाद आखिरकार अप्रैल 2025 में वापसी किया टाइगर स्थाई ठिकाना बना लिया.
बाघ से बचाने हाथी के झुंड पहाड़ों पर बसे

बाघ की एंट्री होती ही बाघ भ्रमण वाले इलाके से हाथियों ने दूरी बना लिया. सीकासेर और कुलाब दल में लगभग 40 हाथी है. जून माह में ये हाथी पहाड़ों से नीचे उतर मैदानी क्षेत्र में आ जाया करते थे. पिछले 4 साल से लगातार अभ्यारण प्रशाशन को मानव हाथी द्वंद रोकने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ती थी. 5 से ज्यादा जाने गई, सैंकड़ों एकड़ फसल बर्बाद हुए जिसके एवज में करोड़ों रुपए का मुआवजा भी भुगतान करना पड़ा था,पर इस बार बारिश में हाथियों के हमले और फसल चौपट की घटना पुरी तरह से बंद है,वरुण जैन ने कहा कि हाथियों के दल में 15 से ज्यादा बच्चे है,बाघ की मौजूदगी इलाके में हाथी के बच्चो को खतरा था. खतरा भाप कर हाथी इस बार अपना ठिकाना पहाड़ों में ही बनाया हुआ है,बाघ की मौजूदगी से मानव हाथी द्वंद बंद हो गया है.
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