राजस्थान. रणथंभौर नेशनल पार्क (Ranthambore National Park) राजस्थान में स्थित देश के सबसे अच्छे बाघ अभ्यारण्यों में से एक है, जिसे यहां उपस्थित “friendly” बाघों के लिए जाना जाता है और इस अभ्यारण में बाघ को देखने की संभावना भारत के दूसरे बाघ अभ्यारण्यों काफी ज्यादा होती है. सवाईमाधोपुर स्थित रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान में बाघिन टी-124 यानी रिद्धी ने शावकों को जन्म दिया है.

रणथंभौर पार्क भ्रमण पर गए पर्यटकों को बाघिन रिद्धी जोन नंबर तीन में दूध बावड़ी क्षेत्र में एक शावक को मुंह में दबाकर ले जाती हुई नजर आई है. इस संबंध में पर्यटकों की ओर से वन विभाग को सूचना दी गई है. अब वन विभाग की ओर से बाघिन की मॉनिटरिंग करने के लिए जोन तीन के संबंधित इलाके में फोटो ट्रैप कैमरे लगाए जा रहे हैं.

रणथंभौर में अब बाघों की संख्या 74

बाघिन रिद्धी यानी टी-124 की उम्र करीब चार साल के आसपास है. रणथंभौर की टीम ने बताया है कि बाघिन रिद्धी ने पहली बार शावकों को जन्म दिया है. बाघिन का विचरण रणथंभौर के जोन तीन में बाघ टी-120 के साथ रहता है. रिद्धी यहां की मशहूर बाघिन एरोहैड यानी टी-84 की संतान है. बाघिन रिद्धी के शावक के साथ नजर आने के साथ ही रणथंभौर में बाघों के कुनबे में एक बार फिर इजाफा हो गया है. रणथंभौर में अब बाघों की संख्या बढ़कर 74 हो गई है. वहीं अभी बाघिन रिद्धी के साथ और भी शावक होने की संभावना है.

रणथंभौर नेशनल पार्क का इतिहास

रणथंभौर नेशनल पार्क साल 1955 में भारत सरकार द्वारा सवाई माधोपुर खेल अभयारण्य के रूप में स्थापित किया गया था. 1973 में इस पार्क को ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ रिजर्व में घोषित कर दिया गया था और 1980 में इसे राष्ट्रीय उद्यान बनाया गया था. साल 1991 यह पार्क केलादेवी अभयारण्य और सवाई मान सिंह अभयारण्य रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान का हिस्सा बन गया. रणथंभौर नेशनल पार्क का नाम भारत के सबसे बड़े राष्ट्रीय उद्यानों की लिस्ट में शामिल है. इस पार्क का नाम रणथंभौर किले के नाम पर रखा गया था और यह उत्तर में बनास नदी और दक्षिण में चंबल नदी से घिरा हुआ है.

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