बारीपदा: बाघिन जीनत कल रात पश्चिम बंगाल से ओडिशा के मयूरभंज जिले स्थित सिमिलीपाल टाइगर रिजर्व में लाई गई. इसे कोलकाता के अलीपुर चिड़ियाघर के पशु अस्पताल से विशेष वाहन के माध्यम से सिमिलीपाल लाया गया. रिपोर्ट्स के अनुसार, बाघिन जीनत को ग्रीन कॉरिडोर के जरिए ओडिशा लाया गया. वह कल रात 1:25 बजे जमशोला अंतरराज्यीय सीमा से ओडिशा में प्रवेश कर सिमिलीपाल पहुंची.

बाघिन को लाने के लिए ओडिशा वन विभाग की 10 सदस्यीय टीम कोलकाता गई थी. पश्चिम बंगाल वन्यजीव विभाग ने इसे अलीपुर से स्थानांतरित करने के लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) को पत्र लिखा था.

सॉफ्ट एन्क्लोजर में रखा जाएगा

बाघिन को सिमिलीपाल में एक सॉफ्ट एन्क्लोजर में रखा जाएगा. इसके स्वास्थ्य और गतिविधियों पर नजर रखने के बाद आगे का कदम उठाया जाएगा.

पहले भी सिमिलीपाल लाई गई थी जीनत

गौरतलब है कि 3 वर्षीय जीनत को पहले 23 नवंबर को महाराष्ट्र के ताडोबा से सिमिलीपाल नॉर्थ के कोर क्षेत्र में लाया गया था. लेकिन 8 दिसंबर की रात उसने रिजर्व छोड़ दिया और झारखंड में प्रवेश कर गई. इसके बाद वन विभाग की टीम ने रेडियो कॉलर के जरिए उसकी निगरानी शुरू की.

रेडियो कॉलर ने किया मुश्किल खड़ी

बाघिन बाद में पश्चिम बंगाल पहुंच गई, लेकिन तकनीकी खराबी के कारण रेडियो कॉलर ने काम करना बंद कर दिया, जिससे उसकी ट्रैकिंग मुश्किल हो गई. शनिवार को इसे बांकुड़ा के जंगल में देखा गया. इसके बाद वन विभाग ने जंगल के आसपास के रास्ते बंद कर दिए और 21 दिनों की कड़ी मशक्कत के बाद रविवार को इसे ट्रैंक्विलाइज करने में सफलता पाई.

अलीपुर चिड़ियाघर में रखी गई थी बाघिन

ट्रैंक्विलाइज करने के बाद, बाघिन को निरीक्षण के लिए अलीपुर चिड़ियाघर में रखा गया. इसके बाद इसे ओडिशा वन विभाग को सौंपा गया.

NTCA ने मांगा स्पष्टीकरण

हालांकि, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने पश्चिम बंगाल सरकार को यह स्पष्ट करने के लिए पत्र लिखा कि जीनत को मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) के अनुसार तुरंत सिमिलीपाल स्थानांतरित करने के बजाय अलीपुर चिड़ियाघर में क्यों रखा गया.