बारिपदा: नए क्षेत्र की तलाश में निकली बाघिन ज़ीनत को आज दोपहर पश्चिम बंगाल के बांकुरा में  ट्रैंक्विलाइज कर पिंजरे में कैद कर लिया गया है. दरअसल, पिछले महीने ही बाघिन ज़ीनत को महाराष्ट्र के तडोबा-अंधारी टाइगर रिज़र्व (टीएटीआर) से ओडिशा के सिमिलिपाल में लाया गया था. लेकिन बाघिन ने ज़ीनत सिमिलिपाल से निकलकर पश्चिम बंगाल में प्रवेश किया. रविवार तड़के भी उसे बेहोश करने के कई प्रयास किए गए थे. बारिपदा के क्षेत्रीय वन संरक्षक (आरसीसीएफ) प्रकाश चंद गोगिनेनी ने यह जानकारी दी.

पश्चिम बंगाल के मुख्य वन्यजीव संरक्षक देबल रॉय ने मीडिया को बताया कि बाघिन बांकुरा जिले के गोपालपुर जंगल में शनिवार रात जहां थी, वहीं मौजूद थी. उसे डबल नेटिंग के घेरे में रखा गया और धीरे-धीरे उस घेरे का परिमाण कम किया गया. रविवार तड़के 1:20 बजे बाघिन को ट्रैंक्विलाइज़ किया गया, लेकिन बार-बार खुराक देने के बावजूद उसे पूरी तरह बेहोश नहीं किया जा सका.”

मुख्य वन्यजीव संरक्षक देबल रॉय ने कहा “बाघिन को ट्रैंक्विलाइज़र शॉट्स की खुराक की एक सीमा होती है, इसलिए सुबह 4:30 बजे ऑपरेशन अस्थायी रूप से रोक दिया गया. बाघिन अत्यधिक उत्तेजित स्थिति में है, जिस कारण वह बेहोश नहीं हो रही है.”

ज़ीनत को टीएटीआर से सिमिलिपाल लाने का उद्देश्य वहां के बाघों की आबादी में एक नई जीन पूल का परिचय देना था. हालांकि ज़ीनत ने सिमिलिपाल से बाहर निकलकर करीब 15 किमी की दूरी तय की और 24 से 26 दिसंबर तक बांडवान में रहने के बाद 27 दिसंबर को मैनबाजार ब्लॉक के जंगल में भ्रमण कर रही थी. बाघिन ने सिमिलिपाल छोड़ने के बाद पश्चिम बंगाल, झारखंड और ओडिशा के जंगलों के त्रिकोणीय क्षेत्र में 120 किमी से अधिक की दूरी तय की है. 

बाघिन ने झारखंड से होकर पश्चिम बंगाल में प्रवेश किया और लगभग एक सप्ताह से वहां है. उसने सिमिलिपाल छोड़ने के बाद पश्चिम बंगाल, झारखंड और ओडिशा के जंगलों के त्रिकोणीय क्षेत्र में 120 किमी से अधिक की दूरी तय की है, संभवतः नए क्षेत्र की तलाश में.