Bihar News: गया जिले का तिलकुट काफी प्रसिद्ध है. शहर के रमना रोड में स्थित तिलकुट दुकानों से आए दिन सौंधी खुशबू से पूरा इलाका गुलजार रहता है. वहीं, गया के तिलकुट को जीआई टैग मिलने की संभावनाओं से व्यवसायियों में खुशी की लहर है. जीआई टैग मिलने के बाद गया के तिलकुट को विश्वस्तरीय पहचान मिल जाएगा. जीआई टैग के लिए प्रारंभिक प्रस्ताव स्वीकृत हो गया है. गया के तिलकुट व्यवसायियों को उम्मीद है कि जीआई टैग मिलने से इसकी अंतरराष्ट्रीय पहचान बनेगी. तिलकुट व्यवसायियों की आमदनी भी बढ़ जाएगी.
तिलकुट का निर्माण
इस संबंध में तिलकुट व्यवसायी का कहना है कि काफी वर्षों से तिलकुट व्यवसायी जीआई टैग के लिए प्रयास कर रहे हैं. जीआई टैग मिलने के बाद तिलकुट व्यवसाय से जुड़े हजारों परिवार की आमदनी भी बढ़ जाएगी. उन्होंने बताया कि तिलकुट का निर्माण गया जिले से हुआ है. गया में तिलकुट बनाने की परंपरा कई वर्षों से चलती आ रही है. करीब डेढ़ सौ से ज्यादा बड़े और छोटे तिलकुट दुकान हैं, जहां तिलकुट का निर्माण होता है. उन्होंने बताया कि गया से तिलकुट देश के विभिन्न राज्यों में कोलकाता, यूपी, महाराष्ट्र, राजस्थान और झारखंड समेत कई राज्यों में जाता है. इसके अलावा यहां का बना हुआ तिलकुट विदेशों में भी भेजा जाता है. उक्त व्यवसाय से लगभग तीन हजार से ज्यादा परिवारों का घर चलता है.
अब जगी है आस
तिलकुट व्यवसायी बताते हैं कि तिलकुट से जुड़े व्यापारियों में बहुत मायूसी थी, लेकिन तिलकुट को जीआई टैंग मिलने की संभावनाओं को देख व्यवसायियों में अब आस जगी है. साथ ही लोगों में विश्वास बढ़ा है कि आने वाले दिनों में तिलकुट को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी. तिलकुट को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलने के बाद दुकानदारों की आमदनी बढ़ जाएगी. उन्होंने बताया कि गया कि तिलकुट की कुछ अलग खासियत है. यहां का तिलकुट महीनों तक खराब नहीं होता है. तिलकुट के निर्माण में चीनी और खास तिल का प्रयोग किया जाता है.
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