हैदराबाद। पवित्र तिरुपति लड्डू में गोमांस और मछली के तेल के इस्तेमाल को लेकर हाल ही पैदा हुआ विवाद से नया खुलासा हुआ है. मंदिर की दीवार पर मिले प्राचीन लेखन में भी पवित्र प्रसादम में किसी भी तरह की मिलावट से बचने के लिए सही सामग्री के इस्तेमाल पर ध्यान केंद्रित किया गया था.

रिपोर्ट के अनुसार, भगवान वेंकटेश्वर मंदिर की दीवारों पर शिलालेख हैं, जो घी जैसी सामग्री को संभालने के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों का उल्लेख करते हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि तिरुमाला और तिरुपति के मंदिरों में 1,150 शिलालेख हैं, जिनमें से 700 अकेले तिरुमाला मंदिर की दीवारों पर उकेरे गए हैं. 8वीं और 18वीं शताब्दी के ये शिलालेख संस्कृत, तमिल, तेलुगु और कन्नड़ में हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, घी की व्यवस्थित पैकेजिंग का उल्लेख 1019 ई. में किया गया है, और इसकी उचित पैकिंग और तिरुमाला तक परिवहन सुनिश्चित किया गया था. शिलालेख में कहा गया है कि बहुत पहले राजा ने मंदिर में सेवाओं और दान के संचालन की जांच करने के लिए एक अधिकारी को नियुक्त किया था, क्योंकि लोगों ने इस बारे में सवाल उठाए थे.

मंदिर के ‘आनंद निलयम’ के पहले प्राकारम (आंतरिक परिसर) की उत्तरी दीवार पर मिले शिलालेख के अनुवादित संस्करण के अनुसार, गर्भगृह के ऊपर छत्र, 23 पोन (सोना, मुद्रा की एक इकाई) को ‘परिचारकम’ सेवा के लिए उपलब्ध कराया गया था, जिसमें अधिकारी को यह सुनिश्चित करना था कि घी को अच्छी तरह से पैक किया जाए और दैनिक प्रावधानों के साथ तिरुमाला पहुँचाया जाए.

यह इसलिए उजागर हुआ क्योंकि घी का उपयोग प्रसाद बनाने के साथ-साथ मंदिर में बारहमासी दीपक जलाने में भी किया जाता था.

रिपोर्ट के अनुसार, यह पहला शिलालेख है जो भगवान वेंकटेश्वर के मंदिर में पूजा और भोजन प्रसाद के संचालन और उचित रखरखाव में खामियों की जांच करने के लिए एक समिति के गठन की बात करता है.

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि मंदिर में पल्लव काल से ही एक सिद्धांत ‘दित्तम’ के रूप में एक अच्छी तरह से परिभाषित प्रक्रिया का पालन किया जाता रहा है. ‘नैवेद्यम’ (देवता को चढ़ाने) के लिए गर्भगृह में ले जाने से पहले एक अधिकारी खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता और मात्रा की जाँच करता है.

यह विवाद तब शुरू हुआ जब प्रयोगशाला की रिपोर्ट में पवित्र प्रसाद में गोमांस की चर्बी के इस्तेमाल का उल्लेख किया गया. गोमांस की चर्बी को गोमांस के वसायुक्त ऊतक को हटाकर, उबालकर और साफ करके बनाया जाता है. इसका उपयोग आमतौर पर उच्च तापमान पर पकाने जैसे डीप फ्राई और रोस्टिंग के लिए किया जाता है. यह संतृप्त वसा से बना होता है और इसकी बनावट नरम मक्खन के समान होती है.