अगले महीने बाबरी विध्वंस की बरसी पर TMC एक मेगा रैली आयोजित करने की प्लानिंग कर रही है. विपक्ष इसे जहां तुष्टिकरण की राजनीती करार दे रहा है वही ममता की पार्टी इसे साम्प्रदायिक सौहार्द फैलाने वाला कदम बता रही है. टीएमसी के इस कदम पर बीजेपी ने आरोप लगाया कि अगले महीने होने वाली टीएमसी की मेगा रैली सिर्फ अल्पसंख्यक वोट बैंक को साधने की कोशिश है और इसका साम्प्रदायिक सौहार्द फैलाने से कोई लेना-देना नहीं है.

दरअसल, टीएमसी हर साल 6 दिसंबर को कोलकाता के मेयो रोड स्थित महात्मा गांधी प्रतिमा के पास ‘साम्प्रदायिक सौहार्द दिवस’ (संहति दिवस) के रूप में बड़ी रैली आयोजित करती है. इस बार भी पार्टी ने भारी भीड़ जुटाने की तैयारी कर रखी है, जहां पार्टी एक बड़ी लामबंदी की योजना बना रही है.

पूरी रैली वोट बैंक की राजनीति

बीजेपी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुभाष सरकार ने दावा किया कि ये सिर्फ और सिर्फ अल्पसंख्यकों का वोट चाहते हैं. अल्पसंख्यक समुदाय भी समझ चुका है कि टीएमसी वोट के लिए ही काम करती है और बोलती है. उनकी ये रैली पूरी तरह से वोट बैंक की राजनीति का हिस्सा है. राज्य सरकार अल्पसंख्यकों का विकास नहीं चाहती.

TMC ने आरोपों को किया खारिज

पूर्व केंद्रीय मंत्री सुभाष सरकार ने कहा कि टीएमसी का प्रस्तावित कार्यक्रम सांप्रदायिक सद्भाव फैलाने के उद्देश्य से नहीं है. हालांकि, टीएमसी ने बीजेपी के सभी आरोपों का खारिज कर दिया है. टीएमसी का कहना है कि ये सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है कि कोई भी सांप्रदायिक तनाव पैदा न कर सके या हिंसा न भड़का सके.

टीएमसी के MLA ने की थी बाबरी मस्जिद बनाने की घोषणा

बता दें कि, तृणमूल कांग्रेस विधायक हुमायूं कबीर ने कुछ दिनों पहले बड़ा ऐलान करते हुए नई बाबरी मस्जिद बनाने का दावा किया है. उनका कहना है कि मुर्शिदाबाद के बेलडांगा में 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद की आधारशिला रखी जाएगी. वही इस ऐलान को बीजेपी ने खुल्लम-खुल्ला हिंदू विरोधी राजनीति बताया थ. बीजेपी सांसद ज्योतिर्मय सिंह महतो ने साफ कर दिया कि अगर कहीं भी बाबरी मस्जिद बनी, तो बीजेपी उसके विरोध में राम मंदिर बनाएगी और रामलला को वापस लाएगी.

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