नई दिल्ली। वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए दिल्ली सरकार ने 10 साल से अधिक पुरानी डीजल कारों या 15 साल से अधिक पुरानी पेट्रोल कारों सहित 1,754 गाड़ियों को जब्त कर लिया है. इससे संबंधित आंकड़ों को पर्यावरण एवं वन विभाग द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट (ATR) में साझा किया गया था. इसमें 17 नवंबर से 6 दिसंबर तक का आंकड़ा दिखाया गया था. इसी अवधि के दौरान 749 वाहन मालिकों पर जुर्माना लगाया गया है और 1,417 लोगों पर केस दर्ज किया गया है.
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2015 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) और 2018 में सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, 10 साल से अधिक पुराना कोई भी पंजीकृत डीजल वाहन और 15 साल से अधिक पुरानी पेट्रोल गाड़ियां राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में चल नहीं कर सकती हैं. हालांकि 10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहनों के मालिकों को एक बड़ी राहत देते हुए दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने 18 नवंबर को घोषणा की है कि एक बार इलेक्ट्रिक किट के साथ एक वाहन को रेट्रोफिट करने के बाद यह राष्ट्रीय राजधानी की सड़कों पर 10 वर्षों से ज्यादा चल सकता है.
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इस बीच 7 लाख 79 हजार 304 प्रदूषण करने वाले वाहनों और बिना प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (पीयूसीसी) के वाहनों का भी इसी समय सीमा के दौरान निरीक्षण किया गया है. इनमें से 21,449 का चालान काटा गया है. 7 हजार 168 को जब्त किया गया है और 21 हजार 679 वाहन मालिकों पर मुकदमा चलाया गया है. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायर्नमेंट (सीएसई) के अनुसार, प्रदूषण के स्थानीय स्रोतों के मामले में वाहनों से होने वाला उत्सर्जन दिल्ली के पीएम 2.5 स्तरों में सबसे अधिक योगदान देता है.
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यातायात को ठीक करने और भीड़भाड़ से बचने के लिए कुल 27 हजार 038 चौराहों, व्यस्त बाजार क्षेत्रों, अनधिकृत पार्किंग स्थल की निगरानी की गई है. इसके अलावा औद्योगिक प्रदूषण पर नियंत्रण रखने के लिए कुल 1,432 उद्योगों की जांच की गई है, जिनमें से 10 को बंद कर दिया गया है. अन्य 10 को गैर-अनुमोदित ईंधन का उपयोग करने के लिए जुर्माना लगाया गया है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सभी जांच किए गए उद्योग पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) पर स्विच कर चुके हैं, जहां कनेक्टिविटी उपलब्ध है. सीएसई के अनुसार, इस साल 24 अक्टूबर से 8 नवंबर के बीच उद्योगों ने राष्ट्रीय राजधानी में हवा में 9.9-13.7 प्रतिशत का योगदान दिया है.
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