दिल्ली जेल प्रशासन मंडोली की महिला सेल को बंद करने की तैयारी कर रहा है। योजना के तहत मंडोली जेल में बंद सभी महिला कैदियों को तिहाड़ जेल(Tihad Jail) की महिला सेल में शिफ्ट किया जाएगा। इसके बदले तिहाड़ जेल के कुछ पुरुष कैदियों को मंडोली भेजा जाएगा, ताकि दोनों जगहों पर भीड़ संतुलित की जा सके। प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक, इस प्रस्ताव में मंडोली की जेल नंबर 16 और तिहाड़ की जेल नंबर 16 एवं 6 जो महिलाओं के लिए आरक्षित हैं इस समय अपनी क्षमता के मुकाबले कम भरी हुई हैं। ऐसे में महिला कैदियों को स्थानांतरित करने में किसी प्रकार की logistical दिक्कत आने की संभावना कम मानी जा रही है।

तिहाड़ जेल प्रशासन के अनुसार, पुरुष जेल (जेल नंबर 4) में क्षमता 900 कैदियों की है, लेकिन वर्तमान में यहां लगभग 4,000 कैदी बंद हैं। यानी यह जेल अपनी निर्धारित क्षमता से चार गुना से अधिक भरी हुई है। अधिकारियों का कहना है कि नई गिरफ्तारीयों और विचाराधीन कैदियों (Undertrials) को प्राथमिक रूप से इसी जेल में भेजे जाने के कारण यहां भीड़ सबसे ज्यादा बढ़ जाती है। बताया जाता है कि इस महीने की शुरुआत में कैदियों के वितरण, ढांचे और सुविधाओं की समीक्षा की गई थी। उसी आकलन के आधार पर मंडोली और तिहाड़ जेलों के बीच कैदियों के स्थानांतरण की यह नई योजना तैयार की गई है, ताकि भीड़भाड़ कम की जा सके और सुरक्षा तथा प्रशासनिक प्रबंधन को बेहतर बनाया जा सके।

जेल विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, हाल ही में किए गए प्रशासनिक ऑडिट में यह खुलासा हुआ कि मंडोली जेल की महिला सेल अपनी क्षमता से काफी कम उपयोग में है। मंडोली में जहां 500 से अधिक महिला कैदियों को रखने की क्षमता है, वहीं वर्तमान में यहां 250 से भी कम कैदी बंद हैं। इसी तरह तिहाड़ की महिला जेल में 600 से अधिक कैदियों की क्षमता है, लेकिन फिलहाल यहां केवल लगभग 400 कैदी मौजूद हैं। अधिकारी ने बताया कि प्रस्तावित योजना के तहत मंडोली की महिला कैदियों को तिहाड़ की जेल नंबर 6 में स्थानांतरित किया जाएगा, जिससे तिहाड़ की महिला जेल की क्षमता का बेहतर उपयोग हो सकेगा और मंडोली में उपलब्ध जगह का इस्तेमाल पुरुष कैदियों की भीड़ कम करने के लिए किया जा सकेगा।

जेल अधिकारियों के मुताबिक, तिहाड़ की महिला जेल में अतिरिक्त कैदियों को समायोजित करने की पर्याप्त जगह है और यह कदम नियमों के अनुरूप होगा। योजना का प्राथमिक उद्देश्य जेल प्रबंधन को सुव्यवस्थित करना और महिला कैदियों के लिए चल रहे पुनर्वास कार्यक्रमों (Rehabilitation Programmes) को एक ही परिसर में केंद्रित करना है, ताकि इन पहलों को अधिक प्रभावी बनाया जा सके।

वर्तमान परिदृश्य में दिल्ली की जेलें गंभीर भीड़भाड़ का सामना कर रही हैं। तिहाड़, मंडोली और रोहिणी सहित तीनों जेल परिसरों की कुल क्षमता लगभग 10,500 कैदियों की है, जबकि इन में फिलहाल 20,000 से अधिक कैदी बंद हैं। इसका अर्थ है कि दिल्ली की जेलें अपनी क्षमता से लगभग दोगुना बोझ उठा रही हैं, जो जेल प्रशासन और कैदियों दोनों के लिए गंभीर चुनौतियां पैदा कर रहा है।

एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह प्रस्ताव अभी अमल में नहीं आया है, लेकिन जल्द ही इसके लिए औपचारिक आदेश जारी किए जा सकते हैं। अधिकारी के अनुसार, इस बदलाव से कई व्यावहारिक लाभ होंगे। सबसे पहले, यह तीनों जेल परिसरों में कैदियों की अत्यधिक संख्या (overcrowding) की समस्या को कम करने में मदद करेगा। इसके अलावा, कैदियों के स्थानांतरण के बाद जेल कर्मचारियों की तैनाती अधिक सुव्यवस्थित और कुशल हो सकेगी। संसाधनों को अलग-अलग परिसरों में बांटने के बजाय एक ही जगह केंद्रित करने से पुनर्वास कार्यक्रमों की गुणवत्ता और पहुंच में सुधार होगा। इससे कैदियों के लिए व्यावसायिक और कौशल-प्रशिक्षण (vocational & skill-training) जैसी पहलें अधिक प्रभावी तरीके से चलाई जा सकेंगी, जो उनके पुनर्वास और समाज में दोबारा शामिल होने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

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