रायपुर. आधुनिक भागदौड़ के इस जीवन में प्रायः सभी व्यक्तियों को चिंता सताती रहती है. हर आयुवर्ग तथा हर प्रकार के क्षेत्र से संबंधित अपनी-अपनी चिंता होती हैं. चिंता को भले ही हम आज रोग ना माने किंतु इसके कारण कई प्रकार के लक्षण ऐसे दिखाई देते हैं जोकि सामान्य रोग को प्रदर्षित करते हैं.

वैदिक ज्योतिष के अनुसार चिंता का दाता मन को संचालित करने वाला ग्रह चंद्रमा तथा व्यक्ति की जन्मकुंडली में तृतीय स्थान को माना जाता है. चंद्रमा के प्रत्यक्ष प्रभाव को आप सभी महसूस करते हैं जब ज्वार-भाठा या पूर्णिमा अमावस्या आती है. चंद्रमा का पूर्ण संबंध हमारे मानसिक क्रियाकलापों से है अगर चंद्रमा या तृतीयेष नीच राशि में स्थिति हो या विपरीत हो या राहु केतु जैसे ग्रहों से पापाक्रांत हो तो व्यक्ति में तनाव जन्मजात गुण होता है.

चंद्रमा या तृतीयेष का अष्टमस्थ या द्वादषस्थ होना भी लगातार तनाव का कारण देता रहता है. विषेशकर इन ग्रह या इनसे संबंधित ग्रहों की गोचर में व्यक्ति पर मानसिक असंतुलन दिखाई देती है. चिंता से मुक्ति हेतु चंद्रमा को मजबूत करने तथा शिव पूजा करने, शिव मन्त्र ॐ का निरंतर जाप करने और चन्द्र की शांति के लिए स्वेत वस्तु का दान करना चाहिए.