रायपुर। छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुईया उइके आज कोरोना से बचाव और उपचार के संबंध में आदिवासी सेवा मंडल भोपाल की आयोजित वर्चुअल कार्यशाला में शामिल हुई. राज्यपाल ने कहा कि आदिवासी समाज स्वाभिमानी होता है. वह स्वयं से बढ़कर किसी चीज की मांग नहीं करता, लेकिन यह समय है कि समाज के पढ़े-लिखे और सक्षम लोग सामने आकर अपना योगदान दें. उनकी मदद करें. उनकी मदद करने का यही सही समय है.

राज्यपाल अनुसुईया उइके ने कहा कि कोरोना ने जैसी परिस्थिति उत्पन्न की है वैसा किसी ने कल्पना भी नहीं किया था. केंद्र सरकार और राज्य सरकार कोरोना से लड़ने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. कई तरह की योजनाएं, पैकेज, टीकाकरण आदि का काम तेजी से किया जा रहा है, लेकिन वनांचल क्षेत्र में रहने वाले आदिवासी समाज के लोग जिनके पास टीवी, रेडियो या समाचार पत्र के साधन नहीं है, उन तक शासन की योजनाओं की जानकारी नही पहुंच पाती है. ऐसे में समाज के शिक्षित और सक्षम वर्ग की जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि उन्हें जागरूक करें. आखिरी व्यक्ति तक शासन की योजनाएं पहुंचाने में मदद करें.

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उन्होंने कहा कि प्रकृति प्रेमी आदिवासी समाज के लोग सीधे-साधे होते हैं. आदिवासी भाइयों को एकजुट होकर जागरूक करने का यही अवसर है. शिक्षित होने के कारण आपका दायित्व और बढ़ जाता है कि रोजगार, इलाज इन तक पहुंचाएं. सबसे बड़ी बात इनके मन से कोरोना का डर निकालना जरूरी है. आदिवासी समाज बहुत मजबूत होता है इनकी इम्यूनिटी बहुत अधिक होती है, वे वन्य औषधियों का प्रयोग कर अपने इम्यूनिटी कैसे बढ़ा सकते हैं, इन्हें क्या खाना चाहिए हमें यह बताना है. ग्रामीण क्षेत्रों में भी कोरोना का संक्रमण बढ़ रहा है इसका बड़ा कारण लापरवाही है.

लक्षण दिखने पर भी ग्रामीण सामान्य बुखार और खांसी सर्दी की बात कहकर जांच नहीं करा रहे हैं. हमें अपने आदिवासी समाज के भाइयों को जागरूक करना है कि एक-दो दिन में ही लक्षण दिखने पर कोरोना की जांच कराएं, क्योंकि यह वायरस दो-तीन दिन में ही फेफड़ों को प्रभावित कर देता है. जांच में देरी होने से हमें नुकसान हो सकता है.

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राज्यपाल अनुसुईया उइके ने कहा कि समाज के प्रमुख लोग वैक्सीन लगाकर वीडियो और फोटो वायरल करें. इससे भी वैक्सीनेशन के लिए ग्रामीण जागरूक होंगे. कोरोना से निजात पाने वैक्सीन लगाना बहुत जरूरी है. कार्यक्रम में  आदिवासी समाज केपदाधिकारी उपस्थित थे.

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