रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आव्हान पर आज से पूरे प्रदेश में खरीफ फसलों को मवेशियों से बचाने के लिए रोका-छेका की तैयारियां गांव-गांव में प्रारंभ हो गई हैं. जिनमें पंचायत प्रतिनिधियों सहित ग्रामीण बड़े उत्साह के साथ हिस्सा ले रहे हैं. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज अपने निवास कार्यालय से दुर्ग जिले के ग्राम पतोरा में आयोजित रोका-छेका की रस्म में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए. ग्राम पतोरा में भी इस रस्म का आयोजन किया गया था. ग्रामीणों के लिए यह क्षण और भी खुशी में बदल गया क्योंकि पूजा के तुरंत पश्चात मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वीडियो कॉल के माध्यम से यहां के ग्रामीणों से बातचीत की.

मुख्यमंत्री ने सरपंच से पूछा कि गायों की पूजा हो गई. आप सभी ने क्या संकल्प ले लिया. आप लोगों के उत्साह को देखकर बहुत खुशी महसूस हो रही है. गौठान को आगे बढ़ाने के लिए गठित समिति के सदस्य सभी ग्रामीण जन उत्साह से जुटे दिख रहे हैं. रोका छेका की रस्म को मनाने के लिए आप लोग इतने मेहनत से काम कर रहे हैं. यह बहुत खुशी की बात है रोका-छेका हमारी ग्रामीण संस्कृति की महत्वपूर्ण परंपरा है. इस परंपरा को निभाने के लिए आप लोगों के द्वारा जो यत्न किया गया है. आप लोग इतने उत्साह से जुड़े हैं यह देखकर बहुत अच्छा लग रहा है.

सरपंच अंजीता साहू ने मुख्यमंत्री को बताया कि आज हम लोगों ने सभी से मवेशियों को गौठान में ही रखने की शपथ लिवाई है. इसके लिए हम लोगों ने गौठान में पूरी तैयारी कर ली है. पैरा एकत्रित कर लिया है. पैरा काटने की मशीन भी हम लोगों ने रख ली. मुख्यमंत्री ने कहा कि खरीफ फसल को बचाने के लिए रोका-छेका बहुत जरूरी परंपरा है. पहले गांव के सभी लोग ऐसे ही संकल्प लेते थे और उसके बाद फसल की रक्षा होती थी. मुख्यमंत्री ने गांव के वरिष्ठ जनप्रतिनिधि अश्विनी साहू से भी चर्चा की. अश्विनी साहू ने बताया कि गांव में रोका छेका के लिए दो-तीन दिनों से तैयारी की जा रही थी. सभी को रोका-छेका के दिन सामूहिक शपथ लेने के लिए प्रेरित किया गया है. सभी उत्साह से शपथ लेने के लिए प्रतिबद्ध हैं. इसके अलावा गौठान में भी खरीफ फसल के लिए मवेशियों को रखने के लिए आवश्यक तैयारियां कर ली गई है. मुख्यमंत्री ने इस मौके पर पहाटिया से भी बात की. उन्होंने कहा कि पहाटिया लोगों के अच्छे कार्य की वजह से ही गौठान आगे बढ़ रहा है. उन्होंने गांव वालों को खरीफ फसल की शुभकामनाएं भी दी.

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आव्हान पर पूरे प्रदेश में 19 जून से 30 जून तक रोका-छेका अभियान प्रारंभ किया गया है. फसलों की सुरक्षा और बहुफसली क्षेत्र के विस्तार के लिए रोका-छेका प्रथा पर प्रभावी अमल सुनिश्चित करने 19 जून से 30 जून तक प्रदेश भर में लोग चर्चा करेंगे. ग्रामीण और शहरी पशुपालक खुली चराई रोकने और सड़कों को मवेशीमुक्त बनाने के उपायों और रणनीतियों पर मंथन करेंगे. वे इस दौरान फसलों को चराई से बचाने मवेशियों का रोका-छेका करने शपथ भी लेंगे. गौठानों में विविध आयोजनों के जरिए कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों की योजनाओं से किसानों को लाभान्वित किया जाएगा.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने खुली चराई से खेती को होने वाले नुकसान को रोकने परंपरागत रोका-छेका प्रथा पर गंभीरता से अमल करने की अपील की है. उन्होंने कहा है कि इससे पूरे वर्ष भर खेती संभव होगी और बहुफसली क्षेत्रों का विस्तार होगा. रोका-छेका से खेतों, बाड़ियों और उद्यानों की सुरक्षा के साथ पशुधन भी सुरक्षित रहेंगे. इसमें नरवा, गरवा, घुरवा, बारी योजना के तहत गांव-गांव में स्थापित गौठान महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. खेती के लिए जैविक खाद उपलब्ध कराने के साथ ही गौठान ग्रामीणों के लिए आजीविका केंद्र के रूप में विकसित हो रहे हैं. सभी गांवों में 19 जून से 30 जून तक कृषि और किसानों से संबंधित विभिन्न गतिविधियों का आयोजन कोरोना संक्रमण से बचाव के सभी उपाय सुनिश्चित करते हुए किया जा रहा है.