गोरखपुर. आवारा पशुओं की वजह से किसान अपनी फसल को नहीं बचा पा रहे हैं. किसान अपनी तैयार उपज को जानवरों से बचाने के लिए खेतों पर पहरा देने को मजबूर हैं. ऐसे में गोरखपुर के बुद्धा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी के इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्यूनिकेशन कोर्स के छात्रों ने फसलों को आवारा पशुओं से बचाने के लिए एक नायाब तरीका निकाला है. स्टूडेंट्स ने एक ऐसा यंत्र तैयार किया है, जो खेत में जानवर के आते ही बजने लगेगा.

छात्र हर्ष कुमार मिश्रा, शिवम कुमार चौरसिया, आदित्य कसौधन और अनिल कुमार चौधरी ने “इंटरनेट ऑफथिंग्स” पर आधारित एक अनोखे यंत्र को तैयार किया है. इन छात्रों ने IOT क्रॉप (फसल) रक्षक नाम के एक यंत्र का प्रोटोटाइप प्रस्तुत किया है. दावा है कि इंटरनेट ऑफ थिंग्स के तहत तैयार हुए यंत्र से खेतों में छुट्टा पशुओं द्वारा किए जा रहे फसलों के नुकसान को बचाने में काफी हद तक सहूलियत मिलेगी.

यंत्र ऐसा करेगा काम

इस प्रोजेक्ट से जुड़े छात्र हर्ष कुमार मिश्रा ने बताया कि वह भी किसान बैकग्राउंड से आते हैं. छुट्टा पशुओं के आतंक से काफी परेशान थे. इसलिए उन्होंने ऐसे यंत्र को बनाने का निर्णय लिया. इस IOT क्रॉप रक्षक में वाईफाई मॉड्यूल लगा हुआ है. यह इंटरनेट से 24 घंटे कनेक्ट रहेगी. इसमें एक सिम लगाया गया है जो हॉटस्पॉट क्रिएट करेगी और इस प्रोटोटाइप में लगे सभी डिवाइसेज को आपस में जुड़े रखेगी.

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यंत्र में एक वाइड रेंज का कैमरा

साथ ही इस प्रोजेक्ट में ऊपर की तरफ एक सोलर पैनल लगाया गया है जो इस यंत्र को पर्याप्त मात्रा में बिजली उपलब्ध कराएगी. इस यंत्र में एक वाइड रेंज का कैमरा लगाया गया है जिसमें नाइट विजन भी है. लिहाजा जब कोई भी पशु इस कैमरे की रेंज में आएगा. इस यंत्र में लगे डिटेक्टर के तहत उसको डिटेक्ट करते ही हूटर अपने आप बजना शुरू कर देगा. इसके अलावा यह डिवाइस अगले ही पल उस खेत के संबंधित किसान के मोबाइल में एक एसएमएस अलर्ट भेजेगा.

यंत्र के प्रोटोटाइप को बनाने में लगभग 50 हजार रुपए का खर्च

अलर्ट मैसेज से उस किसान को यह सूचना मिल जाएगी कि उसके खेत में फसल को नुकसान पहुंचाने कोई अनावश्यक तत्व या छुट्टा पशु प्रवेश कर चुका है. इस डिवाइस के क्षमता लगभग पांच सौ मीटर है. इस यंत्र को मौसम फ्रेंडली बनाया गया है जो बरसात के साथ-साथ अन्य सभी प्राकृतिक विषमताओं से निपटने में सक्षम है. इस यंत्र को 2 महीने तक एक गांव में रखकर बकायदा टेस्ट किया गया है. इसके बाद ही हमने इसको लांच किया है. इस यंत्र के प्रोटोटाइप को बनाने में लगभग 50 हजार रुपए का खर्च आया है.

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