रायपुर. गुप्त नवरात्र मनाने और इनकी साधना का विधान देवी भागवत व अन्य धार्मिक ग्रंथों में मिलता है. श्रृंगी ऋषि ने गुप्त नवरात्रों के महत्व बतलाते हुए कहा है कि जिस प्रकार वासंतिक नवरात्र में भगवान विष्णु की पूजा और शारदीय नवरात्र में देवी शक्ति की नौ देवियों की पूजा की प्रधानता रहती है, उसी प्रकार गुप्त नवरात्र दस महाविद्याओं के होते हैं. यदि कोई इन महाविद्याओं के रूप में शक्ति की उपासना करें, तो जीवन धन-धान्य, राज्य सत्ता और ऐश्वर्य से भर जाता है.

गुप्त नवरात्र अष्टमी तिथि के दिन सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर पूजा का संकल्प लेना चाहिए. इसके बाद माँ अष्टभुजी दुर्गा की पूजा करने के लिए आसन पर बैठें और हाथ में चावल लेकर भगवती दुर्गा का ध्यान करें. ध्यान करके माँ दुर्गा के चरणों में चावल समर्पित करें. आसन के लिए फूल चढ़ाएँ. यदि मिट्टी से निर्मित दुर्गा प्रतिमा का पूजन करना हो तो पूजन पात्र का प्रयोग करना चाहिए. इसके बाद माँ दुर्गा की मूर्ति को दूध से स्नान कराएँ और पुन: शुद्ध जल से स्नान कराएँ. इसके बाद क्रमश: दही, शुद्ध घी, शहद व शक्कर से दुर्गा प्रतिमा को स्नान करवाएँ और हर बार शुद्ध जल से भी स्नान करवाएँ.

पंचामृत से स्नान कराकर शुद्ध जल से स्नान कराएँ. इसके बाद दुर्गा प्रतिमा पर क्रमश: गंध, वस्त्र, यज्ञोपवीत समर्पित करें. इसके बाद चंदन व अन्य सुगंधित द्रव्य समर्पित करें. तत्पश्चात् पुष्पमाला, बिल्व पत्र व धूप अर्पित करना चाहिए. दीप दिखलाएँ और हाथ धो लें. माँ को नैवेद्य (भोग) लगाएँ और इसके बाद फल, पान और सुपारी चढ़ाएँ. दक्षिणा के रूप में कुछ धन अर्पित करें. कपूर से माँ भगवती की आरती करें व पुष्पांजलि अर्पित कर क्षमा प्रार्थना करें.

आषाढ़ शुक्ल अष्टमी को त्रिपुरा में खरसी-पूजा उत्सव मनाया जाता है. जिसमें अधिकतर संन्यासी ही भाग लेते हैं. तमिलनाडु में आषाढ़ मास की अष्टमी को मनाए जाने वाले महोत्सव को अदिपुरम कहा जाता है. इस दिन लोग अपने परिवार की सुख-शांति हेतु शक्ति-देवी की पूजा करते हैं. आषाढ़ शुक्ल नवमी गुप्त नवरात्र का अंतिम दिन होता है. उस दिन भारत के कश्मीर के भवानी मंदिर में विशाल मेला लगता है. उसी दिन हरि जयंती के कारण वैष्णव भक्त व्रत भी रखते हैं और वैष्णव मंदिरों में मनोकामनाओं की पूर्ति और दर्शनार्थ जाते हैं. इस दिन व्रत कर माता की पूजा करने से परिवार में शारीरिक से पीड़ित व्यक्ति को स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है. परिवार में शरीर कष्ट पर होने वाले व्यय से राहत मिलती है.