रायपुर। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को सौभाग्य पंचमी या लाभ पंचमी भी कहा जाता है. सौभाग्य पंचमी मानव जीवन में सुख और समृद्धि की वृद्धि करती है.सौभ्य और लभ का अर्थ सौभाग्य और लाभ होता है इसलिए यह दिन लाभ और सौभाग्य वाला माना जाता है. इस बार एक नवंबर को सौभाग्य पंचमी मनाई जाएगी. इस दिन भगवान शिव की पूजा सभी सांसारिक कामनाओं को पूरा कर परिवार में सुख-शांति लाती है. इसके साथ ही गणेश पूजन समस्त विघ्नों का नाशकर कारोबार को समृद्ध और प्रगति प्रदान करता है. सौभाग्य पंचमी पर्व सुख-शांति और खुशहाल जीवन की इच्छाओं को पूरा करने की भरपूर ऊर्जा प्राप्त करने का शुभ अवसर होता है.
पूजा विधि
सौभाग्य पंचमी पूजन के दिन सुबह स्नान इत्यादि से निवृत्त होकर सूर्य को जलाभिषेक करने की परंपरा है. फिर शुभ मुहूर्त में विग्रह में भगवान शिव व गणेश जी की प्रतिमाओं को स्थापित किया जाता है. गणेश जी को सुपारी पर मौली लपेटकर चावल के अष्टदल पर विराजित किया जाता है। भगवान गणेश जी को चंदन, सिंदूर, अक्षत, फूल, दूर्वा से पूजना चाहिए तथा भगवान आशुतोष को भस्म, बिल्वपत्र, धतूरा, सफेद वस्त्र अर्पित कर पूजन किया जाता है और उसके बाद गणेश जी को मोदक व शिव जी को दूध के सफेद पकवानों का भोग लगाया जाता है.
शुभ मुहूर्त
- लाभ पंचमी तिथि- 1 नवंबर
- पंचमी तिथि की शुरुआत- 01:01 AM(1 नवंबर)
- पंचमी तिथि का समापन- 12:51 AM(2 नवंबर)
- पूजा का शुभ मुहूर्त- 06:36 AM- 10:19AM तक
- पूजा की अवधि- 3 घंटे 43 मिनट तक
महत्त्व
लाभ पंचमी पर व्यापारी नए काम की शुरुआत करते हैं. घरों में आकर्षक रोशनी के साथ देर रात तक आतिशबाजी भी की जाती है. लाभ पंचमी पर अबूझ मुहूर्त होने के कारण बाजार में खरीदारी भी होती है. इस अवसर पर विवाह और अन्य मांगलिक कामों की खरीदारी करने की परंपरा भी है. सौभाग्य पंचमी जीवन में सुख और सौभाग्य की वृद्धि करती है.