रायपुर। आश्विन मास में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को पूरे देश में विजयादशमी पर्व को बड़े ही हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है. शक्तिरूपा देवीदुर्गा ने नौ रात्रि और दस दिन के भीषण युद्ध में महिषासुर का वध किया था, जबकि दशमी को ही श्रीराम ने लंकाधिपति रावण का वध किया था. यही कारण है कि ये दिन बुराई पर अच्छाई के विजय के प्रतीक विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है.दशहरे के दिन क्षत्रिय समाज में शस्त्रों की विधि विधान से पूजा की जाती है.
विजयादशमी पर पूजा करने का मुहूर्त
विजय मुहूर्त: दोपहर में 02 बजकर 21 मिनट से 03 बजकर 08 मिनट तक। विजय मुहूर्त में किया गया कार्य कभी निष्फल नहीं होता है.अपराह्न पूजा मुहूर्त: दोपहर में 01 बजकर 33 मिनट से 03 बजकर 55 मिनट तक.
विजयादशमी को करें पूजन
विजयादशमी के दिन अपराजिता देवी, शमी और शस्त्रों का विशेष पूजन किया जाता है. अपराजिता के पूजन के लिए अक्षत्, पुष्प, दीपक आदि के साथ अष्टदल पर अपराजिता देवी की मूर्ति की स्थापना की जाती है. ओम अपराजितायै नमः मंत्र से अपराजिता का, उसके दाएं भाग में जया का ‘ऊँ क्रियाशक्त्यै नमः’ मंत्र से तथा उसके बाएं भाग में विजया का ओम उमायै नमः मंत्र से स्थापना करें। इसके बाद आवाहन पूजा करें.
विजयदशमी यानि दशहरे के दिन देश के अलग-अलग हिस्सों में रावण दहन किया जाता है. मान्यता है कि इस दिन रावण के पुतले को जलाने से समाज से बुराइयों का भी सफाया हो जाता है. धार्मिक दृष्टि से दशहरे का काफी महत्व है. मान्यता है कि इस समय किसी भी शुभ काम की शुरुआत करने पर अच्छे फल की प्राप्ति होती है.