दिल्ली. कभी हमारे घर औऱ दालानों की रौनक रही गोरैय्या आज गायब हो गई है. शायद नन्हे-मुन्ने बच्चों को मालूम भी न हो कि गोरैय्या नामकी प्राणी भी इस धरती पर रहती है. कभी हमारे जिंदगी और घरों का बेहद अहम हिस्सा गोरैय्या आज गायब हो गई है. गोरैय्या को बचाने औऱ उसके संरक्षण के लिए ही हर साल 20 मार्च को विश्व गोरैय्या दिवस मनाया जाता है ताकि इस बेहद प्यारी सी पक्षी के बारे में हम जान सकें औऱ उसके संरक्षण के लिए काम कर सकें.

गोरैय्या की खास बात ये है कि ये इंसानों के घरों या उनके किसी हिस्से में रहना पसंद करती है. अमूमन 4-5 साल जीने वाली गोरैय्या कई परिवारों औऱ संस्कृतियों में बेहद शुभ मानी जाती है जिसकी वजह से देश के कई हिस्सों में लोग इन्हें अपने घरों में जगह देते हैं.

तेजी से काटे जा रहे पेड़, मोबाइल टावर से निकलने वाली तरंगे और जमकर हो रहा प्रदूषण ऐसे कारक हैं जिनकी वजह से गोरैय्या की संख्या में लगातार कमी हो रही है. अगर हम विश्व गोरैय्या दिवस के मौके पर सिर्फ इस नन्हे से मासूम पक्षी को पालने औऱ संरक्षण के लिए छोटे-छोटे कदम उठा लें तो भी गोरैय्या इतिहास बनने से बच जाएगी.