आज बाल दिवस है देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का बच्चों से आगाध स्नेह था उनको बच्चें चाचा नेहरू बुलाते थे,आज बाल दिवस के दिन हमें विचार करना होगा कि वर्तमान में हमारे देश के अधिकांश बच्चों की क्या स्थिति है , आज घरों में बच्चों को देखने के लिए बच्चों का उपयोग किया जा रहा है ,परिवार कार में जा रहें हो है या और कहीं जा रहें है तो बच्चें को देखने के लिए उस बच्चें को भी ले जाया जाता है,आप अपने आसपास ये दृश्य देख सकते है । इस लिए बचपन खोते बच्चें चाचा से कह रहें है की चाचा मुझे छोटू नहीं बनना है। देश के सभी लोगो को अपने वर्तमान के साथ उस पीढ़ी के विषय में भी सोचना होगा जो उनके बाद देश का वर्तमान बनेंगे, कहते हैं बच्चे देश का भविष्य है पर यदि बच्चों के जीवन से यदि उनका बचपन ही छीन लिया जाये तो देश का क्या वर्तमान होगा आप खुद समझ सकते है , हमारे आस-पास कई मासूम बच्चे बालश्रम करते हमें दिखते है जिसे हम “छोटू” बेटा कहके अपने उमड़े त्वरित प्रेम को प्रदर्शित करते है जिसका उस बच्चे के जीवन में कोई असर नहीं पड़ता है ,जब कही विरोध होता है तो हम स्वर में स्वर मिलाते है पर जरूरत पढ़ने पर हम उसी छोटू से काम लेने में नहीं हिचकते है , स्वार्थ से ऊपर उठकर हमें सोचना होगा , साथ ही हमें जागरूक बनकर आस पास कही पर भी बच्चों से यदि अनुचित श्रम लिया जा रहा है उसका हम सभी को पुरज़ोर विरोध करना होगा तभी बच्चों से श्रम कराने का कार्य करा रहें लोगों को हम सबक सिखा सकते है ।

संदीप अखिल (स्टेट न्यूज़ कॉर्डिनेटर लल्लूराम डॉट कॉम)

देश में बाल श्रम के अनियंत्रित प्रसार पर अंकुश लगाने के लिए हम सभी को प्रयास करना होगा.. बाल और किशोर श्रम (निषेध ) विधेयक का पुरे देश में खुलकर उल्लंघन हो रहा है , छोटे उद्योगो, होटल व्यवसाय, सब्जी,किराने ,धुआ युक्त ईंट भट्टी , ऑटो मोबाईल दुकानों, कपडा व्यवसाय, किसानी एवं मनरेगा तक में बाल श्रमिको का उपयोग हो रहा है ,पटाके की फैक्ट्री में भी आप को बच्चे काम करते आप को दिखाईं दे सकते है आज इस पर पर कड़ाई से रोक लगाने की जरुरत है, साथ ही साथ बाल श्रम के पूर्ण उन्मूलन को आगे बढ़ाने के लिए देश व्यापी जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहियें

वर्तमान में देश में आज बाल श्रम को रोकने की कोई व्यवस्था और न ही प्रतिबधता नजर नहीं आती है जो मानव अधिकार एवं बल श्रम उन्मूलन की घोर अवहेलना है । रोजगार के सभी रूपों का शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अनुसार शिक्षा के पूरा होने की उम्र तक के बच्चों के लिए प्रतिबंधित किया जाना चाहिए ।

किसी भी खतरनाक व्यवसाय या प्रक्रियाओं या बच्चों के लिए खतरनाक है , जो किसी भी आर्थिक गतिविधि में उम्र के 18 साल तक के बच्चों के रोजगार किशोर न्याय ( बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2000 के अनुरूप निषिद्ध किया जाना चाहिए।
बाल श्रम संज्ञेय बनाया जाना चाहिए और कानून और अपराधियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई के तहत गैर जमानती अपराध अधिक कड़े और समयबद्ध बनाया जाना चाहिए ।

बाल श्रम एक संज्ञेय अपराध है

किसी भी प्रकार में 14 साल से कम एक बच्चे को रोजगार पर रखने पर अधिकतम तीन साल कैद की सजा का प्रावधान है
बाल श्रमिकों की व्यापक पुनर्वास के लिए और भी स्पष्ट निगरानी और जवाबदेही ढांचे के लिए पर्याप्त संसाधनों के आवंटन के साथ एक प्रभावी देश व्यापी कार्यक्रम होना चाहिए।

देश भर में बल श्रम उन्मूलन के लिए “बचपन बचाओ आंदोलन”

अपनी सक्रिय भागीदारी निभाते हुए हम समाज के सभी लोगों से आग्रह करते हैं के इस अभियान को सशक्त बनाये जिससे हम देश के उन बच्चो को जो अपने बचपन से दूर हो गए है उन्हें हम उनका बचपन लौटा सके ..

संदीप अखिल (स्टेट न्यूज़ कॉर्डिनेटर लल्लूराम डॉट कॉम)