देश में कृषि अब नई करवट ले रही है. नई तकऩीकों के इस्तेमाल और नये-नये अविष्कारों से खेती की दशा और दिशा दोनों बदल रही है. यही कारण है कि पारम्परिक कृषि कार्य करने वाले लोगों के अलावा आज की युवा पीढ़ी भी खेती की ओर आकर्षित हो रही है. पहले के दौर के मुक़ाबले आज खेती से आमदनी की अपार सम्भावनाएं हैं. खेती के जरिए अच्छी कमाई की जा सकती है. भारत के लगभग सभी क्षेत्रों में किन्नू की खेती आसानी से की जा सकती है.

किन्नू की खेती पूरे उत्तर भारत में की जाती है. किन्नू के फलों से रख काफी मात्र में मिलता है. जिसकी बाजार में अ’छी डिमांड रहती है. ऐसे में किन्नू में बाजार में अपनी एक अलग पहचान बना ली है. Read More – Valentine’s Day के दिन ही मनाया जाता है मातृ-पितृ पूजन दिवस, जानिए इसकी कहानी …

किन्नू न सिर्फ संतरे जैसा दिखता है बल्कि इसके सारे गुण भी लगभग संतरे जैसे ही हैं. मौजूदा समय में हमारे देश के कई राज्यों जैसे- पंजाब, मध्यप्रदेश, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, राजस्थान में किन्नू की खेती की जाती है. पंजाब में पैदा होने वाली फ़सलों में किन्नू को प्रमुखता से गिना जाता है. भारत के लगभग हर क्षेत्र में किन्नू की खेती की जा सकती है. विटामिन सी से भरपूर इस फल की खेती करके आप बंपर कमाई कर सकते हैं. आज हम आपको किन्नू की खेती और उससे आमदनी के बारे में बताने जा रहे हैं.

ऐसे करें खेती

एक एकड़ भूमि में किन्नू के 111 पौधे लगाए जा सकते हैं.

मिट्टी– किन्नू फल की खेती चिकनी मिट्टी, दोमट मिट्टी में आसानी से की जा सकती है. ध्यान रहे कि जिस भूमि पर आप इस फल की खेती करने की सोच रहे हैं वहां जल निकास का उत्तम प्रबंध होना चाहिए, क्योंकि अगर खेत में जलजमाव की स्थिति होगी तो आपकी फ़सल के खऱाब होने की सम्भावना रहेगी. मिट्टी का श्च॥ लेवल 5.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए, इस पीएच मान वाली मिट्टी में पौधे अ’छी तरह विकसित होंगे. Read More – वैलेंटाइन डे : वॉट्सएप के इन खास स्टिकर्स से करें अपने प्यार का इजहार…

तुड़ाई– जनवरी से फवरी के बीच जब आपके खेत में लगी किन्नू की फसल के फल आकर्षक लगने लगें तो समझ लीजिए कि अब आपकी फसल तैयार है. इस अवस्था में आपको इनकी तुड़ाई कर लेनी चाहिए.

सुखाएं– डंडी या कैंची की मदद से तुड़ाई करने के बाद आप फलों को धोएं फिर छांव में सुखा लें. ध्यान रहे कि फल को धूप में कतई न सुखाएं.