रायपुर. भातर में अधिकतर लोगों के दिन की शुरुआत चाय से होती है. आदर सतकार में इसे परोसा जाना सबसे अहम है. मध्य भारत में ग्रीन टी काफी प्रचलित है. लेमन ग्रास के नाम से मशहूर इस चाय का स्वरूप एक घास की तरह होता है. हल्की सी नींबू की सुंगध लिए इस चाय की चुस्की गजब की ताजगी ले आती है. लेमन ग्रास की तीन से चार पत्तियों को हथेली पर मसलकर दो कप पानी में डाल दिया जाता है और उबाला जाता है.  

 स्वादानुसार शक्कर डालकर इसे तब तक उबाला जाता है जब तक कि यह एक कप बचे. इस चाय में दूध का उपयोग नहीं होता है. इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, शरीर के अंदर किसी भी प्रकार के संक्रमण को नियंत्रित करने में लेमनग्रास चाय काफी असरकारक होती है. यह चाय मोटापा कम करने में भी काफी सक्षम होती है. आधुनिक शोध भी इस तथ्य को प्रमाणित करते दिखाई देती है. हरी चाय वसा कोशिकाओं यानि एडिपो साइट्स के निर्माण को रोकती है, इसी वजह से दुनिया के अनेक देश ग्रीन टी को मोटापा कम करने की औषधि के तौर पर देख रहे हैं. इस पर निरंतर शोध जारी है. नई शोधें बताती है कि वसा और कोलेस्ट्रॉल को कम करने वाले प्रोटीन काईनेस को क्रियाशील करने में ग्रीन टी अहम भूमिका अदा करती है. चाय बनाते समय इसी चाय में संतरे या नींबू के छिल्के डाल दिये जाते हैं और कुछ मात्रा नींबू रस की भी डाल दी जाए तो खट्टी ग्रीन टी तैयार होती है. मूल रूप से गोंड, कोरकु और बैगा जनजातियों के बीच प्रचलित इस चाय के भी गजब के औषधीय गुण हैं.

  गाँव के बुजुर्गों से उनकी लंबी उम्र का राज पूछा जाए तो सीधा जवाब मिलता है, “खट्टी गौती चाय”. और मजे की बात यह भी है कि सदियों पुराने इस एंटी एजिंग फार्मुले को आदिवासी अपनाते रहें हैं और अब आधुनिक विज्ञान इस पर ठप्पा लगाना शुरु कर रहा है. नई शोधें बताती है कि हरी चाय और नींबू का मिश्रण उम्र के पड़ाव की प्रक्रिया को धीमा कर देती है, यानि आप इस चाय का प्रतिदिन सेवन करें तो अपने यौवन को लंबा खींच सकते हैं. लेमन ग्रास टी को तैयार करने की विधि से ही एक बेहतरीन कोल्ड ड्रिंक भी बनाया जाता है. तैयार चाय को छानकर किसी बर्तन में लेकर रेफ्रिजरेटर करें और चिलचिलाती धूप में इस ठंडे पेय का आनंद लें. ये ना सिर्फ शरीर को ठंडक देता है बल्कि इसके औषधीय गुण हमें स्वस्थ रखने में मददगार भी साबित होते हैं.

ये खबरे भी जरूर पढ़े-