Today’s Top News : रायपुर में चाकू मारकर नर्स की हत्या, पेड़ कटाई के 36 साल पुराने मामले में हाईकोर्ट ने CBI कोर्ट का पलटा फैसला, नारायणपुर-अबूझमाड़ को महाराष्ट्र से जोड़ेगा NH 130-D, छत्तीसगढ़ पावर कंपनी के खिलाफ संविदा कर्मियों ने खोला मोर्चा, हसदेव अरण्य में कोयला खनन मामले में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला… समेत पढ़ें दिनभर की प्रमुख खबरें
Today’s Top News : रायपुर। राजधानी रायपुर के टिकरापारा में नर्स प्रियंका दास के हत्याकांड का बड़ा खुलासा हुआ है। पुलिस ने इस मामले में युवती के ही दोस्त दुर्गेश वर्मा को गिरफ्तार किया है। आरोपी ने युवती की सीने में चाकू मारकर मौत के घाट उतारा और वारदात में उपयोग किए चाकू को लेकर फरार हो गया।
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 36 साल पुराने बस्तर पेड़ कटाई घोटाले में सीबीआई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए दोनों आरोपियों को बरी कर दिया है. मामला वर्ष 1989 में कोंडागांव वन क्षेत्र में पेड़ों की अवैध कटाई से जुड़ा था. आरोप था कि कलेक्टर कोर्ट के आदेश में 150 की जगह 250 पेड़ों की अनुमति दिखाकर घोटाला किया गया था.
रायपुर। बस्तर अंचल को महाराष्ट्र से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 130-D के निर्माण को नई गति मिली है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बताया कि छत्तीसगढ़ शासन ने कुतुल से नीलांगुर (महाराष्ट्र सीमा) तक 21.5 किलोमीटर हिस्से के निर्माण के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली है। इस सड़क के निर्माण के लिए न्यूनतम टेंडर देने वाले ठेकेदार से अनुबंध की प्रक्रिया शर्तों सहित पूरी करने के निर्देश लोक निर्माण विभाग मंत्रालय द्वारा प्रमुख अभियंता, राष्ट्रीय राजमार्ग परिक्षेत्र रायपुर को दिए गए हैं।
रायपुर। छत्तीसगढ़ पावर कंपनी में कार्यरत संविदा कर्मचारियों ने कंपनी प्रबंधन के खिलाफ छत्तीसगढ़ विद्युत संविदा कर्मचारी संघ के बैनर तले नियमितीकरण को लेकर मोर्चा खोल दिया है। संघ के महामंत्री कमलेश भारद्वाज ने बताया कि संघ विगत 5 वर्षों से नियमितीकरण की मांग करते आ रहा है, लेकिन कंपनी प्रबंधन हर बार आश्वासन देकर वादा-खिलाफी कर देती है। इसी से त्रस्त होकर फिर से संघ ने चरणबद्ध आंदोलन का शंखनाद कर दिया है।
बिलासपुर। हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोयला खनन के खिलाफ दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने ग्राम घठबार्रा के निवासियों की दायर याचिका को खारिज करते हुए कहा कि सामुदायिक वन अधिकार का कोई ठोस दावा साबित नहीं हुआ है। सरगुजा के उदयपुर तहसील के घठबार्रा ग्रामसभा की बैठकों में सामुदायिक अधिकारों को लेकर कोई प्रस्ताव पारित नहीं हुआ। वर्ष 2008 और 2011 की ग्रामसभा बैठकों में केवल व्यक्तिगत पट्टों और भूमि अधिकारों की चर्चा हुई थी। ऐसे में यह दावा निराधार है कि ग्रामीणों के सामुदायिक वन अधिकारों का उल्लंघन हुआ है। मामले की सुनवाई जस्टिस राकेश मोहन पांडेय की एकलपीठ ने की।
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