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ताई की होर्डिंग एंट्री के निहितार्थ
बीजेपी के भोपाल में होने वाले किसी भी बड़े कार्यक्रम में आमतौर पर सुमित्रा महाजन यानी ताई के होर्डिंग पोस्टर्स दिखाई नहीं देते हैं। लेकिन बीते हफ्ते हुए अमित शाह के दौरे में ताई ने होर्डिंग के ज़रिए ज़बरदस्त एंट्री मारी है। जिसकी चर्चाएं बीजेपी के कार्यकर्ताओं के बीच शुरू हो गयी है। सभी लोग ताई के होर्डिंग्स के निहितार्थ खोज रहे हैं। अकेली ताई की तस्वीरों वाले होर्डिंग्स उस रोड शो के दौरान भी लगाए गए जहां अमित शाह ने रोड शो किया था। बीजेपी के दिग्गजों में शुमार ताई को लोकसभा की स्पीकर होने के बाद इंदौर से चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिला था। इसके बाद ताई ने खुद को इंदौर तक सीमित कर लिया। केवल व्यक्तिगत मुलाकातों तक ही व्यस्तता बनाए रखीं। लेकिन पार्टी के भोपाल के बड़े कार्यक्रम में ताई के पोस्टर से कयास लगने लगे हैं कि कहीं ये भविष्य की किसी घटना का इशारा तो नहीं है। खास बात यह है कि ये होर्डिंग किसी कार्यकर्ता या समर्थक की तरफ से नहीं लगाए गए थे। ये होर्डिंग शुद्ध रूप से पार्टी ने लगाए थे। जो काफी सोच समझकर लगाए जाते हैं। चर्चाएं इसी बात को लेकर हैं कि पार्टी को ताई की याद आई क्यों? जबकि दूसरे भी कोई ऐसा भोपाल में मौजूद थे, लेकिन उनका एक भी होर्डिंग नजर नहीं आया।
बदले-बदले से कमलनाथ नजर आते हैं
कमलनाथ के अंदाज़ अब बदले-बदले से नज़र आने लगे हैं। इन दिनों कमलनाथ ने सिलसिलेवार बैठकें शुरू कर दी हैं। रोज़ाना पार्टी नेताओं के साथ बैठकों की बात अलग है। लेकिन अपाइनमेंट को भी ज्यादा लंबित नहीं रखा जा रहा है। पिछले दिनों प्रदेश के आला नेताओं के साथ हुई कमराबंद बैठक भी इसी बदले अंदाज़ का हिस्सा है। बूथ कमेटियों की बैठक, चुनावी सर्वे रिपोर्ट का वक्त-वक्त पर आंकलन करना भी इसी रणनीति का हिस्सा है। विधानसभा वार और जिले वार बैठकों के अलावा ज्यादा से ज्यादा लोगों से मुलाकात भी इस बात का इशारा है कि अब वे अपनी छवि को बदलना चाह रहे हैं। कमल नाथ ने कांग्रेस के सोशल मीडिया को लेकर रोज़ाना मीटिंग ली जाती है। इस तरह की बैठकें बीजेपी की परंपरा है। बीते दिनों शिवराज ने बीजेपी के मीडिया विभाग की बैठक में शामिल होने के बाद कांग्रेस नेताओं ने कमलनाथ का ध्यान आकर्षित कराया था। लेकिन जिस अंदाज़ में बदलाव नजर आ रहा है उससे ये बात तो साफ है कि कमलनाथ के करीबी लोग अब ये समझ गए हैं कि शिवराज के मुकाबला करना है तो सहज-सरल और सुलभ होना भी ज़रुरी है। शिवराज डाउन टू अर्थ होने की वजह से ही मास लीडर नजर आते हैं। अब कमलनाथ ने इसी अंदाज पर अमल करना शुरू कर दिया है। हालांकि चुनावी दौर में कमलनाथ को बीजेपी की तरफ से ‘चलो-चलो’ वाले चुनावी भाषणों को झेलना ही पड़ेगा।
मुख्य सचिव की सोशल मीडिया से दूरी
पूरी दुनिया सोशल मीडिया पर चल रही है। सरकारी और प्रशासनिक सिस्टम भी सोशल मीडिया के जरिए आम लोगों तक पहुंच बना रहा है। यहां तक कि इंटेलीजेंस का इस्तेमाल करने वाली पुलिस और पुलिस के मुखिया सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं। ऐसे में मंत्रालय में चर्चा शुरू हो गई है कि मुख्य सचिव का सोशल मीडिया एकाउंट क्यों नहीं है। सीएम शिवराज तक अपने अफसरों और विभागों को सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने की हिदायत दे चुके हैं। सवाल खड़े हो रहे हैं कि सभी कलेक्टर-एसपी, संभागायुक्त-आईजी जैसे अफसर सोशल मीडिया पर हैं तो मुख्य सचिव को सोशल मीडिया से परहेज़ क्यों है? योगी की पहल के बाद यूपी के मुख्य सचिव ने भी सोशल मीडिया पर एक्टिविटी बढ़ा दी थी। बस इसी वजह से मंत्रालय के अफसरों के बीच भी चर्चाएं शुरू हो गई हैं। ये बात अलग है कि मुख्य सचिव को शुरू से ही मीडिया से परहेज़ रहा है। वे हमेशा से ही सार्वजनिक प्रदर्शन से दूर ही रहते हैं। यही व्यक्तिगत आचार संहिता उन्होंने मुख्य सचिव का ओहदा हासिल करने के बाद भी अपनाई हुई है।
‘आप’ की आंखें फिर देखने लगी ख्वाब
बीजेपी और कांग्रेस का खेल बिगाड़ने के लिए आम आदमी पार्टी ने तैयारी शुरू कर दी है। दिल्ली के बाद पंजाब फतह करके अब ‘आप’ ने गुजरात का रुख तो किया ही है। एमपी पर भी नज़रें डालनी शुरू कर दी हैं। ‘आप’ की नजर बीजेपी और कांग्रेस के ऐसे दावेदारों पर है जो पहली बार चुनाव लड़ने जा रहे हैं और युवा हैं। ‘आप’ ने दिल्ली से फोन घनघनाकर दाना डालना शुरू कर दिया है। युवा दावेदार फिलहाल वेट-एंड-वॉच की मुद्रा में है। सीधे हां या ना में जवाब नहीं दिया जा रहा है। इससे साफ संकेत मिलते हैं कि आखिरी वक्त में पत्ता कटने पर ‘आप’ का विकल्प अपनाया जा सकता है। फिलहाल करीब आधा सैंकड़ा युवा दावेदारों से संपर्क साध लिया गया है। आपकी जानकारी के लिए ये ज़रुर बता दें कि 2018 के विधानसभा चुनाव में भी ‘आप’ दमखम के साथ उतरी थी। नतीजा सिफर रहा। इस बार दिल्ली के साथ पंजाब में सरकार बनने से ‘आप’ के हौंसले फिर बुलंद होने लगे हैं।
आईपीएस को भा रहा रूफ टॉप क्लब
राजधानी में पदस्थ एक आईपीएस को रूफ टॉप क्लब खूब भा रहा है। अपनी आलीशान शानो शौकत और रंगीन मिजाज माहौल के लिए मशहूर ये स्पॉट अब साहब का भी ड्रीम स्पॉट बन गया है। आये दिन साहब यहां अपनी शाम गुजारते नजर आने लगे हैं। बंगाली मूल के ये साहब वैसे अपने कलरफुल मिजाज के लिए पहचाने जाते हैं। आईपीएस साहब पिछले दिनों अपनी महिला मित्रों के साथ शॉपिंग करते देखे गए हैं। शहर के एक व्यस्त मॉल में करीब 2 लाख रुपए की खरीददारी की गई है। साहब के शौक महंगे हैं और जीवनशैली में उसका असर दिखाई देता है। आमतौर पर अफसर दिल्ली में ही शॉपिंग करना पसंद करते हैं। लेकिन खुले-दिल आईपीएस साहब को भोपाल में भी खरीददारी से परहेज़ नहीं है। वैसे, साहब का अपनी जीवन है, अपनी जीवनशैली। किसी को उस पर टिप्पणी करने का कोई हक नहीं है। लेकिन साहब की गैरमौजूदगी में यदि उनके बारे में चर्चाएं होने लगे तो क्या किया जा सकता है?
दुमछल्ला…
अक्की यानी अक्षय कुमार तो ट्ववेंटी फोर अवर्स ग्लेमर में डूबे हैं। लिहाज़ा वे हमेशा कूल ही रहते हैं। ये बात अलग है कि उनसे मिलने वाले लोग इतने एक्साइटेड हो जाते हैं कि ख्याल ही नहीं रहता है कि अक्की से क्या कह रहे हैं। बीते दिनों भोपाल में हो रही फिल्म सेल्फी की शूटिंग के लिए अक्की से मिलने रेलवे के बड़े अफसर पहुंचे तो एक्साइटमेंट में कह उठे ‘हम पहले टॉयलेट में मिले थे।’ साहब तो अक्साइटेड थे लेकिन अक्षय कुमार कूल थे। अक्षय ने सवाल पूछ लिया – ‘टॉयलेट में?’ आसपास के लोग भी हैरान थे कि मिलने की ये कौन सी जगह हुई। लोगों की भौंहे चढ़ने लगी तो अफसर को समझ आया और क्लीयर किया कि टॉयलेट फिल्म की शूटिंग के दौरान मिले थे। अब अफसर पर हंसने की बारी थी। खैर, आप मिले थे ध्यान रखिएगा अपने एक्साइटमेंट का।
(संदीप भम्मरकर की कलम से)