सिंधिया से गुपचुप मुलाकात बढ़ा रहे मंत्री
सरकार के एक मंत्री सिंधिया से गलबहियां बढ़ा रहे हैं, अब तक कुछ गुपचुप मुलाकातें हो चुकी हैं। जिनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर अपलोड नहीं की गई हैं। आप इसे यह भी कह सकते हैं कि तस्वीरें बाहर आने से रोकी गई हैं। इन मुलाकातों को इसलिए ही गुपचुप मुलाकात का दर्जा दिया जा सकता है। अपनी ही पार्टी के केंद्रीय मंत्री से मुलाकात कोई हैरानी की बातभी नहीं है। लेकिन आश्चर्य तब होता है कि प्रदेश के मंत्री का सिंधिया के विभागों से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है। हैरानी तब भी होती है कि प्रदेश के मंत्री संघ के काफी करीबी हैं। उनके अपने संघी संबंध उन्हें सारे कष्टों से दूर रख सकते हैं। बावजूद इसके सिंधिया से नज़दीकियां बढ़ाने के कई सियासी मायने निकाले जा सकते हैं। वैसे, कई लीडर हैं जो सिंधिया से संबंध बढ़ाने में लगे हुए हैं। शायद भविष्य में बीजेपी की राजनीति में महत्व मिलने की संभावना के चलते इस तरह की कवायदें बढ़ी हैं।
147 विस सीटों पर कांग्रेस के टिकट तय
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के इशारे पर पार्टी ने करीब 147 सीटें पर उम्मीदवार तय कर दिए हैं। पंचायत और निकाय इलेक्शन के नतीजे आने के बाद किए गए सर्वे के बाद यह बड़ा फैसला ले लिया गया है। पीसीसी चीफ और पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ अब इस लिस्ट पर मंथन करके अपने दस्तखत कर सकते हैं। सब कुछ ठीक रहा तो जनवरी से इन सीटों पर कांग्रेस चुनावी कैंपेन भी शुरू कर सकती है। रणनीति इस तरह की है कि उम्मीदवारों का नाम घोषित किए बगैर काम शुरू करवा दिया जाए। खास बात यह है कि दिल्ली ने जो लिस्ट भेजी है, उसमें खास तौर पर ज़िक्र किया है कि यह सबसे बेहतर और जीतने योग्य उम्मीदवार है। लिहाज़ा काट-छांट की संभावनाएं बेहद कम हैं। बीेजेपी के लिए यह चुनौती हो सकती है कि कांग्रेस यदि अभी से इस तैयारी पर है तो उस वक्त के लिए क्या रणनीति होगी जिस वक्त राजनैतिक दलों में टिकटों के लिए मारामारी मचती है।
शिक्षा विभाग ने बदल दिए प्रथम राष्ट्रपति
बीते दिनों शिक्षा विभाग ने एक सर्कुलर निकाला जिसमें प्रथम राष्ट्रपति का नाम गलत लिख दिया गया। यह आदेश पूरे प्रदेश में पहुंच गया। किसी को इस गलती की भनक भी नहीं लगी। जबकि इस आदेश के ड्राफ्ट को जारी करने को लेकर नीचे से ऊपर तक कई बाबू, अफसर और बड़े अफसरों ने दस्तखत किए हुए थे। अब आदेश निकलने के बाद गलती का पता लगा तो आदेश जारी करने वाले तो चुप्पी साध गए। लेकिन महकमे के सबसे बड़े अफसर ने क्लास ले ली। शिक्षा विभाग के अफसरों की क्लास, सुनकर ही अजीब लगता है। एक शिक्षक यदि गलती कर जाए तो सस्पेंड हो जाता है। लेकिन एक सरकारी आदेश में गलती पर केवल बात यही दबाकर रख दी गई है। जाहिर है, कार्यवाही के दायरे में छोटी मछलियां ही आती हैं, देखना है कार्यवाही किसके हिस्से में आती है।
दिल्ली वालों की दिलचस्पी बढ़ा रही धड़कनें
बीजेपी में दिल्ली वाले संगठन नेताओं की लगातार बैठकें पार्टी नेताओं की धड़कनें बढ़ा रही हैं। ये बैठकें निकाय और पंचायत इलेक्शन के रिजल्ट के बाद प्लान की गई हैं। वजह सबको समझ में आ रही हैं। लेकिन इस बार की बैठकों में खास बात यह है कि यह बैठकें वन टू वन हो रही हैं। यह बात सभी जानते हैं कि वन टू वन चर्चा में ऐसी बातें हो जाती हैं जिससे किसी का भी नफा-नुकसान किया जा सकता है। यही वजह है कि पार्टी में अहम भूमिका निभाने वाले लोगों के दिल धक-धक हो रहे हैं। दरअसल, इन बैठकों से मिले इनपुट किसी ना किसी शक्ल में फैसले में तब्दील होंगे और अहम किरदार निभाने वाले लोगों के लिए फायदे कम और नुकसानदायद ज्यादा होंगे। बैठकों का सिलसिला जारी है। बस फैसलों का इंतज़ार चुनाव आने तक किया जा सकता है।
EOW अफसरों से ताल्लुकात की कोशिशें
अचानक कई बड़े नेता-अफसर और प्रभावशाली लोग EOW में पदस्थ अफसरों से कनेक्शन की जुगाड़ में लग गए हैं। पता लगाया जा रहा है कि ये कहां बैठते हैं, एकांत मुलाकात कहां संभव है। यदि आप समझ नहीं पा रहे हैं तो हम पिछले दिनों हुई कुछ छापेमारी की तरफ इशारा कर देते हैं। दरअसल, सूबे की EOW ने बीते दिनों ऐसी छापेमारी की है कि उसकी चर्चा देश की मीडिया और सोशल मीडिया पर जमकर देखी गईं। देश भर का ध्यान खींचने वाली इन तस्वीरों की वजह से ऐसी कार्यवाहियों की ज़द में आने वाले लोगों ने पता लगाना शुरू कर दिया है कि इनपुट कहां से हासिल किया जा सकता है। पूर्व सूचना कई मुसीबतों से बचा सकती है। इसलिए यहां पदस्थ अफसरों की बैठकों पर अब कई लोग पहुंच बनाने की जुगाड़ जमाने लगे हैं।
दुमछल्ला…
बीजेपी में हालिया हुई एक नियुक्ति से इवेंट मैनेजमेंट कंपनी की बांछे खिल उठी हैं। लंबे वक्त बाद सुनहरे वक्त की शुरुआत की आस में इस कंपनी के कर्ताधर्ता अब खुश नजर आ रहे हैं। इन्होंने करीबियों के साथ पार्टी-शार्टी का सिलसिला शुरू कर दिया है। उम्मीद इस बात की है कि चुनावी साल में हुई यह नियुक्ति उन्हें अच्छे कामकाज दिला सकती है। लंबे अर्से से यह कंपनी कामकाज की तलाश कर रही थी। अब यह नियुक्ति ही उनकी टोटल बिजी करने में कारगर साबित होगी। खुशी की वजह का अंदाजा लगाकर उन्हें बधाई देने का सिलसिला शुरू कर सकते हैं।
(संदीप भम्मरकर की कलम से)
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