मुख्य सचिव को पसंद नहीं मुलाकातें
एमपी के मुख्य सचिव को ज्यादा मेल-मुलाकातें पसंद नहीं हैं। इस वजह से वे कई लोगों की नजर में खटकते भी रहते हैं। उनसे मुलाकात की मंशा से मंत्रालय पहुंचने वाले लोगों को अक्सर निराशा ही हाथ लगती है। ये तो रही आम लोगों की बात। अफसरों और प्रशासनिक अमला खुश इस बात से है कि साहब पूरा ध्यान फाइलें निपटाने में दे रहे हैं। एक-एक फाइल को पूरी तल्लीनता से पढ़कर उसमें वाजिब कमेंट करके लौटाना उनके कामकाज का हिस्सा बन गया है। इससे फाइलें कई-कई दिनों तक मुख्य सचिव के दफ्तर में नहीं रहती हैं। कई फाइलें तो सुबह से शाम तक ही लौटा दी जाती हैं। सरकारी सिस्टम में इस तेजी के कई फायदे देखने मिल रहे हैं। ज़रूरतमंद खुश हैं और प्रार्थना कर रहे हैं कि ईश्वर साहब को मेल मुलाकात से दूर ही रखे।

3 आलीशान कक्षों को रौनक का इंतज़ार
मंत्रालय की पुरानी बिल्डिंग के 3 आलीशान कक्षों को बियाबान हुए करीब 4 साल होने वाले हैं। यहां का कैबिनेट कक्ष, मुख्य मंत्री कार्यालय और मुख्य सचिव कार्यालय अब नई बिल्डिंग में शिफ्ट हो चुका है। साहब भी 3 साल से वहीं बैठने लगे हैं। हालांकि कुछ अफसरों ने इन आलीशान वीवीआईपी कक्षों पर नजर डालने की नाकाम कोशिश भी की थी। लेकिन अब मंत्रालय में चर्चाएं तेज हो गई हैं कि कभी प्रदेश की सबसे बड़े शक्ति केंद्र रहे इन कक्षों के दिन कब फिरेंगे। कम से कम यहां की वीराना तो खत्म हो ही सकता है। फिलहाल कर्ताधर्ताओं के पास इन कक्षों को लेकर कोई प्लान नहीं है। लिहाज़ा मंत्रालय की पुरानी इमारत की चौथी और पांचवीं मंजिल के इन कक्षों में रौनक लौटने की चर्चाएं भी लगातार जारी है।

मंत्रीजी का दर्द की कराह में मनोरंजन
अखाड़े में तलवारबाज़ी का जौहर दिखाते मंत्रीजी का वीडियो तो आपको याद ही होगा। पूरे जोश से मुस्कुराते हुए मंत्रीजी अखाड़े में उतरकर तलवारबाज़ी का जौहर दिखाने वाले मंत्री चंद मिनिट तक दर्द से बिलख रहे थे। दरअसल, उनका दांतों का इलाज चल रहा है। सिटिंग अब तक जारी है। हर एक सिटिंग बेपनाह दर्द देने वाली होती है। दर्द निवारक दवाएं भी दिनचर्या को सामान्य नहीं कर पाती हैं। जिस वक्त अपने जिले में मंत्रीजी पहुंचे तब भी हालत खराब ही थी। लेकिन मौके पर लोगों का हुजूम देखा तो तलवारबाजी के करतब शुरू कर दिए। करतब दिखाने के दौरान वाहवाही होने लगी तो मंत्रीजी का जोश भी परवान चढ़ गया। भीड़ और भीड़ की वाहवाही मिलने लग जाए तो बड़े से बड़ा दर्द काफूर हो सकता है।

6 मंत्री की वजह से दूसरों के मुंह फूले
आखिरकार सरकार ने यह तय कर लिया है कि मंत्रियों को नयी कार दे दी जाएं। यह मांग शुरुआती दौर से ही मंत्रियों की तरफ से आ रही थी। लेकिन कोरोना की वजह से कड़की की हालत है। सरकार की जेब तंग होने की वजह से मंत्री पुरानी कारों से ही सफर कर रहे हैं। जैसे ही पता चला कि मंत्रियों को नयी कार मिलने की फाइल चल पड़ी है तो सभी ने लिस्ट पर गौर किया। यहां केवल 6 मंत्रियों की ही किस्मत खुल पायी थी। जिन दूसरों ने लिस्ट देखी उनका मूड ऑफ हो गया। बल्कि मुंह फुलाकर बैठ गए। अधिकांश मंत्रियों ने पुरानी कारों में मीन मेख निकालकर नयी कार की डिमांड की थी। उम्मीद थी कि यह डिमांड वक्त पर पूरी हो जाएगी। अब मुंह फुलाकर दबाव बनाने की कोशिशें की जा रही हैं। एक तरफ सरकार ने फिजूलखर्ची रोकने के लिए कई जगह कटौती कर रखी है। सबसे ज्यादा मार लग्जरी के खर्च पर पड़ी है। अब इनोवा क्रिस्टा भी ज़रूरत की बजाय लग्जरी खर्च में शामिल हो जाएगी तो नाराज़गी होगी ही।

अफसरों ने सक्रिय किए कूनो में दलाल
अफसरों ने अपने करीबी और चहेते मध्यस्थों को कूनो पालपुर के आसपास के इलाकों में सक्रिय कर दिया है। इस नेशनल पार्क में चीते की दस्तक से पहले ही दलाल आसपास की ज़मीन की खरीद-फरोख्त में लगा दिए गए हैं। एक बड़ा तबका कारोबारियों का न होकर अफसरों का है। आसपास की ज़मीनों के लैंड यूज की तफ्तीश की जा रही है। दरअसल, चीता आने के बाद यह जगह सोना उगलने वाली समझी जा रही है। लिहाज़ा कई नेताओं ने भी ऐसे काम में दिलचस्पी लेने वाले अफसरों से संपर्क साधना शुरू कर दिया है। लोकल के राजस्व अमले की ज़बरदस्त पूछपरख बढ़ गई है। आने वाले दिनों में इस इलाके के पंजीयन दफ्तर में कामकाज बढ़ जाए तो हैरत मत कीजिएगा।

दुमछल्ला…
सागर में कांग्रेस ने एक बड़े लीडर के घर पर सेंध मारने की तैयारी कर रही है। फिलहाल बड़े लीडर के रिश्तेदार भतीजे पर डोरे डालने भी शुरू कर दिए हैं। दरअसल, इन साहब को बीते पंचायत चुनाव में पार्टी नेताओं के दबाव में चुनाव से कदम पीछे खींचने पड़े थे। नतीजा यह हुआ कि इसी जिले के दूसरे बड़े लीडर के रिश्तेदार का इकबाल बुलंद हो गया। दरअसल, उस वक्त आमने-सामने की स्थिति बन गई थी और दो बड़े नेताओं के बीच तलवारें खिंचने लगी थीं। खाली हाथ रह गए भतीजे बुरी तरह नाराज़ हैं, इसलिए कांग्रेस को यहां गोटी फिट करने का मौका मिल गया है। सुना है, कांग्रेस के लोकल लीडर संपर्क कर रहे हैं और जल्द ही भोपाल लाने की तैयारी है। गौर करने वाली बात यह है कि साहबज़ादे को विधानसभा चुनाव में उतारने की तैयारी है।

(संदीप भम्मरकर की कलम से)